महराजगंज, उत्तर प्रदेश: जनपद के प्राथमिक विद्यालय रुद्रपुर भलुही से जुड़ा एक भावुकता भरा वीडियो सोमवार को सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें कुछ बच्चियों को रोते हुए यह कहते हुए दिखाया गया कि विद्यालय बंद कर दिया गया है और वे पढ़ाई से वंचित हो गई हैं। वीडियो ने लोगों के बीच चिंता और रोष की लहर दौड़ा दी।
जैसे ही यह मामला जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा के संज्ञान में आया, उन्होंने तत्परता दिखाते हुए मामले की गहन जांच के आदेश दिए। जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
साजिशन बनाया गया वीडियो, प्रधानाध्यापिका निलंबित
बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) रिद्धि पांडेय की जांच में यह बात सामने आई कि वायरल वीडियो पूरी तरह प्रायोजित था। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका कुसुमलता पांडेय द्वारा बच्चों को गुमराह कर वीडियो तैयार करवाया गया और सोशल मीडिया पर प्रसारित कर प्रशासन की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई। जिलाधिकारी ने इस कृत्य को अत्यंत गंभीर मानते हुए प्रधानाध्यापिका को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।ये भी पढ़ें: Video: प्राथमिक विद्यालय में महिला अध्यापक और परिजनों के बीच विवाद, वीडियो वायरल
खंड शिक्षा अधिकारी को भी कार्रवाई का सामना
परतावल ब्लॉक के खंड शिक्षा अधिकारी मुसाफिर सिंह पटेल को विद्यालयों की निगरानी में लापरवाही बरतने के आरोप में प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है। जांच में सामने आया कि रुद्रपुर भलुही विद्यालय में छात्र नामांकन के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया था। विद्यालय में नामांकन की संख्या मात्र 32 पाई गई। साथ ही, अनिवार्य पंजिकाएं जैसे कि कंपोजिट ग्रांट पंजिका, टीएलएम पंजिका, बाल मेला पंजिका, मध्याह्न भोजन पंजिका आदि विद्यालय में उपलब्ध नहीं थीं।ये भी पढ़ें: Video: स्कूल के बाहर रोते दिखे बच्चे, वजह जान पिघल जाएगा आपका दिल
डीएम ने किया वीडियो को फर्जी करार
जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा ने स्पष्ट किया कि वायरल वीडियो पूरी तरह मनगढ़ंत और भ्रामक था। उन्होंने बताया कि विद्यालय को युग्मन नीति के तहत बंद नहीं किया गया है और वहां पूर्ववत पठन-पाठन कार्य संचालित है। उन्होंने इसे प्रशासन और शासन की छवि धूमिल करने की सुनियोजित साजिश बताया, जिसे समय रहते विफल कर दिया गया।ये भी पढ़ें: एक हेडमास्टर की कुर्सी पर दो शिक्षकों का दावा, मामला पहुंचा अपर मुख्य सचिव के पास
युग्मन नीति से बेहतर शिक्षा का प्रयास
बीएसए रिद्धि पांडेय ने जानकारी दी कि कम नामांकन वाले विद्यालयों को समीपवर्ती विद्यालयों से जोड़ा जा रहा है ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षण माहौल, पर्याप्त संसाधन और योग्य शिक्षकों की सुविधा मिल सके.ये भी पढ़ें: सैलरी 1.5 लाख, केवल आना-जाना और काम कुछ नहीं... जानें शिक्षकों पर क्या बोले बीएसए
यह मामला न केवल शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि प्रशासनिक सतर्कता और त्वरित कार्रवाई से अफवाहों और साजिशों को समय रहते रोका जा सकता है।
