शिव कुमार शुक्ला बोले - हाईकोर्ट के आदेश से शिक्षामित्रों में नई उम्मीद जगी


लखनऊ: उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। लखनऊ हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों की सेवानिवृत्ति आयु से जुड़े मामले में महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश जारी करते हुए तीन सप्ताह तक सेवानिवृत्ति पर रोक लगा दी है। कोर्ट के इस फैसले से प्रदेशभर के शिक्षामित्रों में नई उम्मीद की किरण जगी है।

दरअसल, वर्तमान में शिक्षामित्रों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष तय है, जबकि नियमित शिक्षकों की 62 वर्ष। इसी असमानता को लेकर हरदोई के कछौना ब्लॉक के राजेश कुमार और उनके 16 साथियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि जब शिक्षामित्र और शिक्षक दोनों समान कार्य करते हैं, तो सेवानिवृत्ति की आयु भी समान होनी चाहिए।

हाईकोर्ट ने शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को तीन सप्ताह में काउंटर एफिडेविट दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पूछा है कि शिक्षामित्रों और शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु में भेदभाव क्यों किया गया है। इस आदेश का लाभ फिलहाल उन शिक्षामित्रों को मिलेगा जिनकी सेवानिवृत्ति अगले 21 दिनों के भीतर होने वाली थी।

संगठन की ओर से लगातार प्रयास

इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ लंबे समय से प्रयासरत था। हाल ही में संगठन के पदाधिकारियों ने अवनीश सिंह और बेसिक शिक्षा निदेशक से भी मुलाकात की थी, जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा हुई।

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इस पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला ने कहा—

“हमारी लगातार मांग रही है कि शिक्षामित्रों की सेवा आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष की जाए। कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है और सेवानिवृत्ति पर रोक लगा दी है। हमें उम्मीद है कि सरकार शिक्षामित्रों के हित में निर्णय लेगी।”

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मानदेय भुगतान और वृद्धि पर भी चर्चा

शिव कुमार शुक्ला ने आगे बताया कि समर कैंप का मानदेय भुगतान प्रक्रिया में है। कुछ जिलों में भुगतान शुरू हो गया है जबकि कुछ में शीघ्र होने वाला है। उन्होंने कहा—

“हमारा प्रयास है कि दीपावली से पहले सभी शिक्षामित्रों का मानदेय भुगतान हो जाए। सितंबर माह का मानदेय सोमवार से बुधवार तक जारी होने की संभावना है।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संगठन मानदेय वृद्धि को लेकर लगातार सरकार से संवाद में है। बेसिक शिक्षा निदेशक ने भी सोमवार से इस पर कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए हैं।

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उम्मीद की किरण

कोर्ट के इस आदेश से शिक्षामित्रों में राहत और उत्साह दोनों देखने को मिल रहे हैं। अब सबकी निगाहें आने वाले तीन सप्ताह में सरकार के जवाब और संभावित निर्णय पर टिकी हैं। यदि सरकार 62 वर्ष सेवा आयु को मंजूरी देती है, तो यह राज्यभर के लाखों शिक्षामित्रों के लिए एक ऐतिहासिक फैसला साबित होगा।

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