लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्र लंबे समय से अपने अधिकारों और भविष्य को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। इसी बीच चुनाव आयोग की ओर से बीएलओ ड्यूटी कर रहे कर्मियों के मानदेय बढ़ाने की बात सामने आने के बाद विभिन्न तरह की चर्चाएँ तेज हो गई हैं। इसी मुद्दे पर एक संगठन से जुड़े शिक्षामित्र वीरेंद्र छौंकर से बातचीत की गई, जिसमें उन्होंने मानदेय बढ़ोतरी की घोषणा को केवल पुरानी बातों की पुनरावृत्ति बताया।
उनका कहना है कि बीएलओ का मानदेय 12,000 रुपये और सुपरवाइज़र का 18,000 रुपये किए जाने की घोषणा पहले ही की जा चुकी थी। वर्तमान में जो बात सामने आई है, वह कर्मचारियों को भ्रमित करने की कोशिश है, इसमें कोई नई घोषणा नहीं की गई है।
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इस बीच, शिक्षामित्र लगातार आंदोलनरत हैं। पश्चिम क्षेत्र की बैठक के बाद अब 7 दिसंबर को लखनऊ में एक महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। वीरेंद्र छौंकर के अनुसार, यह बैठक बेहद अहम होगी, क्योंकि इसमें आगे की रणनीति और बड़े निर्णय लिए जाएंगे। उनका कहना है कि पिछले दो वर्षों से शिक्षामित्रों को लगातार गुमराह किया जा रहा है और अब समय आ गया है कि एक बड़ा कदम उठाया जाए। उन्होंने सभी शिक्षामित्रों से इस बैठक में शामिल होने की अपील की।
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छौंकर ने शिक्षामित्रों को संदेश देते हुए कहा कि उनका संघर्ष ही उनकी पहचान है। उन्होंने बताया कि चाहे पूर्ववर्ती सरकारें रही हों या वर्तमान, शिक्षामित्रों ने अपने अधिकार संघर्ष के दम पर ही हासिल किए हैं। उन्होंने याद दिलाया कि जब-जब शिक्षामित्र एकजुट हुए हैं, सरकार को निर्णय लेने पड़े हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले शीतकालीन सत्र में एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा और सरकार को मजबूर किया जाएगा कि वह शिक्षामित्रों के भविष्य पर स्पष्ट निर्णय ले।
शिक्षामित्रों में बढ़ती नाराज़गी और आगामी बैठक को देखते हुए यह साफ है कि प्रदेश में एक बार फिर बड़ा आंदोलन खड़ा होने वाला है।
