यूपी में 9000 प्राथमिक शिक्षकों का समायोजन रद्द, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रमोशन की राह खुली


Primary Teachers News: सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का व्यापक असर उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिलेगा। बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से पिछले दो महीने में किए गए अंतर जनपदीय स्थानान्तरण और समायोजन पर असर पड़ना तय है। आदेश के चलते उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किए गए करीब नौ हजार प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों का समायोजन अब निरस्त करना होगा।

परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने 30 जून को प्रदेशभर के 20182 शिक्षकों की स्थानांतरण सूची जारी की थी, जिसमें 9041 प्रधानाध्यापक शामिल थे। वहीं, 8 अगस्त की सूची में 5378 शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ, जिनमें लगभग 442 प्रधानाध्यापक थे। इनमें से नौ हजार प्रधानाध्यापकों को नियम विरुद्ध तरीके से उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित कर दिया गया था।

ये भी पढ़ें: शिक्षक संघ अध्यक्ष का बड़ा बयान: कोर्ट न जाएं, संगठन करेगा उचित कार्यवाही

इस कार्रवाई का कई शिक्षक विरोध कर रहे हैं। कौशाम्बी के अतुल द्विवेदी सहित तीन शिक्षकों ने इसे नियम विरुद्ध बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि उच्च प्राथमिक विद्यालयों के पद पदोन्नति से भरे जाने चाहिए थे, लेकिन उन्हें समायोजन से भर देने से अन्य शिक्षकों की पदोन्नति के अवसर बाधित हुए हैं। इस मामले की सुनवाई 9 सितंबर को होनी है।

ये भी पढ़ें: शिक्षामित्र संगठन ने की CM योगी से मुलाकात! उमेश पांडेय ने दी जानकारी!

आठ साल बाद पदोन्नति का रास्ता खुला

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अब उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद से लंबित शिक्षकों की पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है। नियमों के अनुसार प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त शिक्षकों की पांच साल की सेवा के बाद पदोन्नति होनी चाहिए।

 लेकिन टीईटी की अनिवार्यता को लेकर विवाद के कारण 2017 से पदोन्नति रुकी हुई थी। हजारों शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें 15 साल सेवा देने के बाद भी प्रमोशन नहीं मिला। अब सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से इन शिक्षकों को पदोन्नति मिलने की उम्मीद जगी है।

Post a Comment

Previous Post Next Post