लखनऊ/नई दिल्ली – मॉनसून सत्र के दौरान संसद में उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर बहस देखने को मिली। वहीं उत्तर प्रदेश में गर्मी की छुट्टी में समर कैंप चला। जिसमें कार्यरत अनुदेशक और शिक्षामित्रों को अभी तक मानदेय नहीं मिला, जिससे वे कर्मचारी परेशान हैं।
🏛️ संसद में आज क्या हुआ
- राज्यसभा में AAP सांसद संजय सिंह ने UP के सरकारी स्कूलों को बंद करने और एक-दूसरे से मिलाने (merger) की सरकारी नीति पर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इससे ग्रामीण और ज़रूरतमंद इलाकों के बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।
- विपक्ष ने जोर देकर कहा कि यह कदम केवल बजट की बचत का प्रयास नहीं है, बल्कि कई बार “school कन्वेनिएंस” के पीछे वास्तविकता में छात्रों के लिए शिक्षा की पहुंच मुश्किल हो रही है।
- केंद्र सरकार ने पलटवार करते हुए कहा कि यह नीति NEP‑2020 के तहत लायी गयी है, ताकि स्कूलों के संसाधनों का बेहतर उपयोग हो और “Balvatika Centres” खोले जा रहे हैं, जहां छोटे बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता दी जा सके। इसी बहस के चलते सदन को दोपहर तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
💰 समर कैंप का मानदेय: कब तक इंतज़ार?
- यूपी में लगभग 1.67 लाख संविदानियुक्त अनुदेशक और शिक्षामित्रों ने 21 मई से 15 जून तक गर्मियों की छुट्टियों में बच्चों की पढ़ाई में योगदान दिया।
- प्रत्येक को ₹6,000 मानदेय मिलने की बात कही गई थी, परन्तु अब तक उन्हें यह भुगतान नहीं मिल पाया है।
- शिक्षामित्र संघ के नेताओं का कहना है कि उन्होंने अनेक अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन वित्तीय प्रक्रिया में देरी के कारण अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला।
- शिक्षा विभाग का मानना है कि निर्देश जारी हैं और जल्द ही भुगतान की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
🔍 विश्लेषण और अनुमान
- लापरवाही नहीं, बल्कि प्रक्रिया में समय लगना आम है—फंड रिलीज़ के लिए आवश्यक स्वीकृति और खाते में राशि ट्रांसफर करना इनमें समय लेता है।
- अगस्त की शुरुआत तक—अनुमानतः अगले 2–3 सप्ताह—के भीतर अनुदेशक और शिक्षामित्रों के खाते में ₹6,000 का भुगतान होने की मजबूत उम्मीद है।
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💡 निष्कर्ष
- संसद में UP की स्कूल merger नीति को लेकर दो गुटों में बहस छिड़ी—एक तरफ संसाधनों की मांग, दूसरी तरफ शिक्षा की पहुंच।
- समर कैंप मानदेय की राशि स्वीकृत है, लेकिन प्रशासनिक प्रक्रिया में देरी है; एजेंसियों का कहना है कि अगले कुछ हफ्तों में भुगतान हो जाएगा।
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