कांवड़ यात्रा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। हरिद्वार, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और अब मेरठ तक कांवड़ियों की बढ़ती भीड़ और उनकी उग्र गतिविधियों के चलते प्रशासन को सख्त कदम उठाने पड़े हैं। इन जिलों में कांवड़ियों द्वारा गाड़ियों में तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे आमजन और प्रशासन दोनों चिंतित हैं।
इसी को ध्यान में रखते हुए मेरठ के जिलाधिकारी डॉ. वी.के. सिंह ने आदेश जारी किया है कि 16 जुलाई से 23 जुलाई तक जिले के सभी स्कूल बंद रहेंगे। 23 जुलाई को शिवरात्रि के बाद 24 जुलाई को स्कूल फिर से खोले जाएंगे। मुजफ्फरनगर प्रशासन ने भी इसी तर्ज पर स्कूल बंद करने का निर्णय लिया है।
दिल्ली-मेरठ मार्ग बना जाम का केंद्र
सोमवार दोपहर से पुलिस प्रशासन ने दिल्ली-मेरठ हाईवे को वन-वे कर दिया। इससे हाईवे पर सिर्फ एक ही लेन में वाहनों की आवाजाही हो रही है और दूसरी लेन कांवड़ यात्रियों के लिए सुरक्षित रखी गई है। इस व्यवस्था से मुरादनगर के पास भीषण जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई।मनोटा से मोरटा तक करीब 10 किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया। गर्मी और उमस में फंसे यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ी। लोगों ने बताया कि 10 मिनट का सफर तय करने में उन्हें 2 से 3 घंटे लग गए। मुरादनगर को पार करना वाहन चालकों के लिए चुनौती बन गया है।
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सड़क पर एम्बुलेंस, स्कूल बसें और वीआईपी वाहन भी घंटों फंसे रहे। मेरठ के शास्त्री नगर निवासी उमेश शर्मा ने कहा कि "अभी कांवड़ियों की संख्या इतनी नहीं है कि वन-वे की आवश्यकता हो, प्रशासन ने जल्दबाजी में निर्णय लिया जिससे आम जनता को नुकसान हो रहा है।"