लखनऊ: जैसे-जैसे 19 दिसंबर नजदीक आ रहा है, उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों की समस्याओं को लेकर शासन-प्रशासन स्तर पर गतिविधियां तेज होती दिखाई दे रही हैं। शिक्षामित्रों के हितों को लेकर लगातार मंत्री, विधायक और विधान परिषद सदस्य मुख्यमंत्री से मुलाकात कर रहे हैं और उनके लंबित मुद्दों के समाधान की मांग रख रहे हैं।
हाल ही में कई जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर शिक्षामित्रों की दयनीय आर्थिक स्थिति और मानदेय वृद्धि की आवश्यकता पर जोर दिया। प्राथमिक शिक्षा से जुड़े संगठनों के पदाधिकारियों ने भी यह रणनीति अपनाई है कि सदन की कार्यवाही से पहले अधिक से अधिक मंत्रियों और अधिकारियों से मिलकर शिक्षामित्रों की समस्याओं को प्रमुखता से रखा जाए।
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इसी क्रम में पूर्व ऊर्जा मंत्री एवं वर्तमान विधायक , विधायक तथा एमएलसी ने भी मुख्यमंत्री से भेंट कर शिक्षामित्रों के मानदेय और अन्य मांगों के शीघ्र समाधान की अपील की है।
जनप्रतिनिधियों की इन सिफारिशों और लगातार हो रही बैठकों से शिक्षामित्रों में उम्मीदें बढ़ी हैं। हालांकि, संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि जब तक मांगों पर ठोस और सार्वजनिक निर्णय नहीं हो जाते, तब तक पूरी तरह आश्वस्त होना कठिन है। उनका मानना है कि शिक्षामित्रों की सबसे बड़ी समस्या मानदेय वृद्धि है, जिस पर सरकार को निर्णायक कदम उठाना चाहिए।
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गौरतलब है कि 7 दिसंबर को हुई अहम बैठक के बाद एक और शासनादेश जारी हुआ था, जिससे शिक्षामित्रों में सकारात्मक संकेत मिले हैं। मौजूदा हालात में लगभग रोज़ाना जनप्रतिनिधि मुख्यमंत्री से मिलकर शिक्षामित्रों की आवाज उठा रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सरकार की ओर से शिक्षामित्रों के लिए कोई ठोस और राहतभरा निर्णय लिया जा सकता है। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि इन मुलाकातों का वास्तविक असर कब और किस रूप में सामने आता है।
