लखनऊ: प्रदेश में अनुदेशक और शिक्षामित्रों के लिए एक बड़ी और सकारात्मक पहल की आहट मिल रही है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार जनवरी के पहले सप्ताह, संभवतः 10 जनवरी तक, सरकार और अनुदेशक–शिक्षामित्र प्रतिनिधियों के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद स्थापित हो सकता है। हालांकि अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन अंदरखाने तैयारियां तेज बताई जा रही हैं।
हाल ही में बेसिक शिक्षा मंत्री से हुई मुलाकात के बाद इस संवाद को लेकर चर्चाएं और तेज हो गई हैं। इस मुलाकात में शिक्षक विधायक , प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष , अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सहित कई प्रतिनिधि मौजूद रहे। अमापुर विधानसभा से विधायक भी इस दौरान शामिल बताए गए।
सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित संवाद में यह तय किया जाएगा कि बातचीत का ढांचा क्या होगा, किन-किन मुद्दों पर चर्चा होगी और किन प्रतिनिधियों की भागीदारी रहेगी। माना जा रहा है कि यह संवाद अनुदेशक और शिक्षामित्रों से जुड़े लंबे समय से लंबित मसलों—जैसे मानदेय, स्थानांतरण, सेवा शर्तें, नवीनीकरण, अवकाश और अन्य सुविधाओं—पर आगे की राह तय कर सकता है।
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सरकार की ओर से हाल ही में शिक्षा से जुड़े कार्मिकों के लिए कैशलेस चिकित्सा सुविधा की घोषणा को भी इस व्यापक प्रक्रिया का हिस्सा माना जा रहा है। इस योजना से बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े शिक्षकों, अनुदेशकों और शिक्षामित्रों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। इसके लिए बजट प्रावधान किए जाने की जानकारी भी सामने आई है।
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बताया जा रहा है कि यदि यह संवाद विधिवत रूप से शुरू होता है, तो यह अनुदेशक और शिक्षामित्रों के लिए वर्षों से बंद पड़े समाधान के रास्ते खोल सकता है। संगठन स्तर पर भी यह अपील की जा रही है कि जैसे ही संवाद की तिथि और रूपरेखा तय हो, सभी संबंधित लोग शालीनता और एकजुटता के साथ इसमें भाग लें, ताकि सरकार के समक्ष अपनी बात मजबूती से रखी जा सके।
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार से जुड़े संकेतों को देखते हुए यह माना जा रहा है कि आने वाला समय अनुदेशक और शिक्षामित्रों के लिए नई उम्मीद और नई दिशा लेकर आ सकता है। फिलहाल सभी की नजरें जनवरी के पहले सप्ताह पर टिकी हैं, जब इस संभावित संवाद को लेकर कोई ठोस संदेश सामने आ सकता है।
