लखनऊ: उत्तर प्रदेश की आशा वर्कर्स ने अपनी लंबित मांगों को लेकर शुरू किए गए अनिश्चितकालीन आंदोलन को अब “असहयोग आंदोलन” का नाम दे दिया है। लंबे समय से इसकी तैयारियां चल रही थीं और 15 दिसंबर को प्रदेशभर में इसका व्यापक असर देखने को मिला। आशा वर्कर्स ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला मुख्यालयों पर एकजुट होकर जोरदार धरना-प्रदर्शन किया।
प्रदेश अध्यक्ष विजय विद्रोही ने बताया कि सरकार को कई बार मांग पत्र और नोटिस दिए गए, लेकिन अब तक कोई ठोस वार्ता नहीं बुलाई गई। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से आंदोलन को दबाने की कोशिश की जा रही है। कई जगह संगठन के पदाधिकारियों को धमकाने, नोटिस देने और नौकरी से निकालने की बातें सामने आई हैं। इसके बावजूद आशा वर्कर्स का आंदोलन मजबूती से आगे बढ़ रहा है।
विजय विद्रोही के अनुसार, प्रदेश के 50 से अधिक जिलों में प्रदर्शन हुए हैं और जहां आज कार्यक्रम नहीं हो सका, वहां आने वाले दिनों में आंदोलन तेज होगा। 18 तारीख को सभी जिला मुख्यालयों पर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन की योजना है, जबकि 3 तारीख को विधानसभा घेराव के लिए राजधानी कूच का ऐलान किया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार इस बीच वार्ता के लिए बुलाती है तो संगठन बातचीत को तैयार है, लेकिन इस बार केवल आश्वासन या पत्र देकर बात खत्म नहीं होगी। मांगों के समाधान के लिए सिलसिलेवार और त्रिपक्षीय वार्ता जरूरी है, जिसमें सरकार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और आशा वर्कर्स के प्रतिनिधि शामिल हों। इसके लिए एक स्पष्ट एजेंडा और कमेटी बनाए जाने की मांग की गई है।
पोलियो अभियान को लेकर भी विजय विद्रोही ने सरकार पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार को पहले से पता था कि 15 दिसंबर से पोलियो अभियान शुरू होना है और उसी दिन आशा वर्कर्स की हड़ताल भी घोषित थी। इसके बावजूद समय रहते बातचीत नहीं की गई और अब पूरी जिम्मेदारी आशा वर्कर्स पर डाली जा रही है, जो गलत है।
आशा वर्कर्स का कहना है कि वे स्कीम वर्कर्स हैं, उन्हें कम मानदेय, बकाया भुगतान में देरी और अत्यधिक कार्यभार जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 24 घंटे काम लेने के बावजूद उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं किया जाता। ऐसे में जब तक सरकार ठोस समाधान की दिशा में कदम नहीं उठाती, आंदोलन जारी रहेगा।
विजय विद्रोही ने साफ कहा कि यह आंदोलन दबाव या धमकियों से नहीं रुकेगा, बल्कि बातचीत और समस्याओं के वास्तविक समाधान से ही खत्म होगा।
