लखनऊ: शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के मानदेय एवं नियमितीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. ए.पी. सिंह ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों और अनुदेशकों की स्थिति बेहद दयनीय हो चुकी है। सरकार बार-बार आश्वासन तो देती है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। मुख्यमंत्री द्वारा 5 सितंबर को मानदेय वृद्धि की घोषणा के दो महीने बीत जाने के बाद भी कोई ठोस फैसला नहीं हुआ है, जिससे कर्मचारियों में गहरी मायूसी व्याप्त है।
डॉ. सिंह ने कहा कि “जब सरकारें और अदालतें जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरतीं, तो आम आदमी का विश्वास डगमगाने लगता है। न्याय में देरी भी अन्याय के समान है। अगर उत्तराखंड, हिमाचल और राजस्थान जैसे राज्य अपने शिक्षकों और शिक्षामित्रों को नियमित कर सकते हैं, तो उत्तर प्रदेश क्यों नहीं?” उन्होंने कहा कि देश का संविधान सभी के लिए समान है, इसलिए एक राज्य में लागू नीति दूसरे राज्यों में भी लागू होनी चाहिए।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने यह भी कहा कि अगर अदालतों में सरकार द्वारा दाखिल एफिडेविट में गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं, तो उस पर स्वतः संज्ञान लिया जाना चाहिए। एफिडेविट शपथपूर्वक दिया गया बयान होता है, और उसमें गलत जानकारी देना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है।
उन्होंने कहा कि “आज शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के सामने रोटी, कपड़ा, मकान, औषधि और बच्चों की शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं। कई लोग बीमारी और आर्थिक तंगी के चलते जान गंवा रहे हैं। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो शिक्षक समाज को रोशनी देते हैं, उनके अपने घरों में अंधेरा है।”
डॉ. सिंह ने सरकार और न्यायपालिका दोनों से अपील की कि वे इस मामले को संवेदनशीलता के साथ लें और शीघ्र ऐसा निर्णय दें जिससे लाखों शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के जीवन में स्थायित्व और सम्मान लौट सके।
उन्होंने कहा, “जनता का विश्वास सबसे अनमोल पूंजी है। जब जनता अपने जनप्रतिनिधियों और अदालतों पर भरोसा करती है, तो वही लोकतंत्र की असली ताकत बनता है। इस भरोसे को टूटने नहीं देना चाहिए।”
मुख्य बातें:
- उत्तराखंड, हिमाचल और राजस्थान में शिक्षकों को नियमित किया गया, यूपी में अब तक नहीं।
- शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के मानदेय में दो महीने से कोई बढ़ोतरी नहीं।
- एफिडेविट में गलत तथ्य पेश करने पर अदालत को संज्ञान लेना चाहिए।
- शिक्षामित्रों की लगातार हो रही मौतों पर गहरी चिंता व्यक्त।
- सरकार से शीघ्र ठोस निर्णय लेने की अपील।
