शिक्षामित्रों को लेकर कोर्ट में होगी अहम सुनवाई! 27 अक्टूबर लाएगा बड़े बदलाव!


उत्तर प्रदेश के लाखों शिक्षामित्र और अनुदेशक वर्षों से अपने मानदेय में वृद्धि की मांग को लेकर संघर्षरत हैं। बढ़ती महंगाई और सीमित आय के बीच वे लगातार सरकार से उचित वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षक दिवस के अवसर पर 5 सितंबर 2025 को शिक्षामित्रों के मानदेय में बढ़ोतरी का आश्वासन दिया था। इस घोषणा ने उनके बीच उम्मीद की किरण जगाई, लेकिन डेढ़ महीने बीत जाने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

अब सभी की नजरें इलाहाबाद हाईकोर्ट की 27 अक्टूबर 2025 को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। यह सुनवाई पहले 18 सितंबर को निर्धारित थी, जिसके बाद कोर्ट ने सरकार को आदेश देते हुए कहा था कि अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी। माना जा रहा है कि यह तारीख शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के भविष्य के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।

प्रदेश में लगभग 1.5 लाख शिक्षामित्र और करीब 25 हजार अनुदेशक कार्यरत हैं, जो प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहे हैं। फिलहाल शिक्षामित्रों को 10,000 रुपये और अनुदेशकों को 9,000 रुपये मासिक मानदेय मिलता है, जो मौजूदा आर्थिक हालात में पर्याप्त नहीं है। उनकी मांग है कि शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाकर 25,000 रुपये और अनुदेशकों का 20 से 22 हजार रुपये प्रतिमाह किया जाए। साथ ही, हर तीन साल में वेतन वृद्धि का प्रावधान भी उनकी प्रमुख मांगों में शामिल है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार को 18 दिसंबर 2025 तक अनुपालन रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। सरकार की ओर से बताया गया कि मानदेय वृद्धि से राज्य पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा, इसलिए एक कमेटी गठित कर रिपोर्ट वित्त विभाग को भेजी गई है। हालांकि, अब तक उस रिपोर्ट पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

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शिक्षामित्रों का कहना है कि 2017 के बाद से उनकी स्थिति में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ है। कई शिक्षामित्रों ने आर्थिक तंगी और इलाज के अभाव में अपनी जान तक गंवा दी। उनका आरोप है कि सरकार उनके योगदान को स्वीकार करती है, लेकिन कार्रवाई के स्तर पर देरी कर रही है।

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इस बार शिक्षामित्रों को उम्मीद थी कि दीपावली से पहले सरकार उन्हें किसी राहत की सौगात देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब उनकी अंतिम उम्मीद 27 अक्टूबर की सुनवाई से जुड़ी है।

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अब देखना यह होगा कि क्या इस बार कोर्ट से कोई ऐसा फैसला आता है जो शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए, या फिर यह संघर्ष आगे भी जारी रहेगा।

आपको क्या लगता है, क्या इस बार की सुनवाई शिक्षामित्रों के लिए राहत लेकर आएगी?

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