उत्तर प्रदेश में परिषदीय शिक्षकों के जिले के अंदर समायोजन को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। महराजगंज, कन्नौज, सुल्तानपुर, हमीरपुर और अन्य जिलों में कई स्कूल एकल या शिक्षकविहीन हो रहे हैं। समायोजन आदेशों के बाद कुछ शिक्षक अब अपने पुराने स्कूल (घर वापसी) में जाने के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंच गए हैं।
गौरतलब है कि बेसिक शिक्षा विभाग ने 23 मई 2025 को जिले के अंदर समायोजन की नीति जारी की थी। 26 से 28 जून 2025 तक ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से समायोजन सूची तैयार की गई और 30 जून को जारी की गई। इसमें 25 हजार से अधिक शिक्षकों का समायोजन हुआ। सूची जारी होते ही विवाद शुरू हो गया।
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एक जुलाई 2025 को बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने सभी बीएसए को निर्देश दिए कि जिले के अंदर समायोजन आरटीई 2009 और यूपीआरटीई 2011 के मानकों के अनुसार शिक्षकों के विषय, कैडर और पदनाम की जाँच कर ही कार्यमुक्त करें।
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समायोजन सूची जारी होने के बाद बड़ी संख्या में परिषदीय स्कूल एकल और शिक्षकविहीन हो रहे थे। इस कारण कई जिलों के बीएसए ने शिक्षकों को कार्यमुक्त करने से इनकार कर दिया। जिन जिलों में शिक्षक कार्यमुक्त हो चुके थे, उनका समायोजन आदेश निरस्त कर दिया गया। इसी फैसले के खिलाफ शिक्षक अब हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुके हैं।
इसके अलावा, प्रदेशभर के एक लाख से अधिक परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति के लिए जल्द विस्तृत गाइडलाइन जारी होने की संभावना है। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी सक्रिय हो गए हैं और 30 अक्टूबर को अगली सुनवाई से पहले दिशा-निर्देश जारी होने की उम्मीद जताई जा रही है।
 
