सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ए.पी. सिंह ने शिक्षामित्रों के वेतन और स्थिति को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आज भी शिक्षा के क्षेत्र में भारी असमानता बनी हुई है। एक तरफ सरकारी शिक्षक हैं जो लाखों रुपये वेतन पा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शिक्षामित्र हैं जिन्हें मात्र 10 से 15 हजार रुपये में वही काम करना पड़ रहा है।
ए.पी. सिंह ने कहा कि शिक्षकों को दो भागों में बांट दिया गया है — एक सरकारी शिक्षक और दूसरे शिक्षामित्र। दोनों की ड्यूटी, जिम्मेदारी, काम और भागीदारी बराबर है। चाहे चुनाव कार्य हो, जनगणना, कोरोना काल की ड्यूटी या फिर बाढ़ और प्राकृतिक आपदाएं — दोनों समान रूप से जिम्मेदार रहते हैं। इसके बावजूद सैलरी में 10 से 20 गुना तक का फर्क है।
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या शिक्षामित्रों को आटा, दाल, कपड़ा या साइकिल फ्री में मिलती है? जब सभी चीज़ों की कीमत सबके लिए समान है तो वेतन में इतना भेदभाव क्यों? उन्होंने कहा कि यह भेद अब खत्म होना चाहिए।
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ए.पी. सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय, केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की कि वे इस असमानता पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि जेलों में, अदालतों में और इलाज में असमानता खत्म कर दी गई है, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में आज भी शिक्षामित्रों को बराबरी का दर्जा नहीं मिला।
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उनके अनुसार, शिक्षक ही समाज के हर वर्ग — डॉक्टर, नेता, पत्रकार और अभिनेता — को तैयार करता है, इसलिए शिक्षामित्रों के साथ न्याय होना समय की मांग है।