भारत में कैश (नकद) में लेन-देन आम बात है। छोटी खरीदारी, मजदूरी का भुगतान, किराया, या दोस्तों-रिश्तेदारों से पैसे लेना—ये सब रोज़मर्रा के काम हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ परिस्थितियों में कैश में लेन-देन करना कानून के खिलाफ भी हो सकता है? आइए जानते हैं, आयकर कानून इस बारे में क्या कहता है।
कब कैश में लेन-देन अपराध माना जाता है?
भारत के Income Tax Act में नकद लेन-देन पर कई नियम बनाए गए हैं ताकि काले धन (Black Money) और टैक्स चोरी को रोका जा सके।
1. धारा 269SS – ₹20,000 या उससे अधिक का ऋण/उधार/जमा
- किसी भी व्यक्ति से ₹20,000 या उससे अधिक की राशि नकद में न लें और न दें।
- यह लेन-देन सिर्फ बैंक ट्रांसफर, खाता-चेक या खाता-ड्राफ्ट से ही किया जा सकता है।
2. धारा 269ST – ₹2,00,000 या उससे अधिक की नकद प्राप्ति
- एक दिन में किसी एक व्यक्ति से ₹2 लाख या उससे अधिक नकद नहीं लिया जा सकता।
- यह सीमा एक ही लेन-देन या कई लेन-देन के कुल योग पर भी लागू होती है।
3. धारा 40A(3) – व्यापार में ₹10,000 से अधिक का भुगतान
- यदि आप व्यापार या व्यवसाय में हैं, तो ₹10,000 से अधिक का भुगतान नकद में करने पर वह खर्च टैक्स में मान्य नहीं होगा।
- कुछ विशेष परिस्थितियों (जैसे ग्रामीण क्षेत्र, आपातकाल) में अपवाद दिए गए हैं।
कानून तोड़ने पर सज़ा
- 269SS या 269ST का उल्लंघन करने पर जितनी राशि का लेन-देन किया गया है, उतना ही जुर्माना लगाया जा सकता है।
- गंभीर मामलों में अभियोजन (Prosecution) भी हो सकता है।
किन मामलों में कैश लेन-देन अपराध नहीं है?
- छोटी खरीदारी (जैसे किराना, सब्जी)
- मजदूरी का भुगतान (कानूनी सीमा में)
- बैंक से पैसे निकालना या जमा करना (अपने खाते में)
- पारिवारिक या व्यक्तिगत छोटे-मोटे भुगतान
सुरक्षित और कानूनी कैश लेन-देन के तरीके
- बड़े लेन-देन के लिए हमेशा बैंकिंग चैनल का इस्तेमाल करें।
- कैश रिसीट या भुगतान का रिकॉर्ड रखें।
- उधार या ऋण हमेशा बैंक ट्रांसफर से दें-लें।
- टैक्स से संबंधित नियमों की समय-समय पर जानकारी लें।
निष्कर्ष
कैश में लेन-देन हमेशा अपराध नहीं है, लेकिन कानून द्वारा तय सीमाओं का उल्लंघन करने पर यह गंभीर मामला बन सकता है। अगर आप नियमों का पालन करते हैं, तो आपको किसी भी तरह की कानूनी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी और शिक्षा के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी को कानूनी या वित्तीय सलाह न समझें। किसी भी प्रकार के कैश लेन-देन से पहले अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट, टैक्स कंसल्टेंट या वकील से सलाह लें।
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