उत्तर प्रदेश में स्कूल मर्जर विवाद पर हाईकोर्ट का निर्णय, जानें क्या कहा अदालत ने


लखनऊ:
 उत्तर प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के विलय को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया। यह आदेश सीतापुर जिले के 51 बच्चों की ओर से दायर याचिका सहित अन्य मामलों में दिया गया है, जिसमें प्रदेश सरकार के 16 जून को जारी स्कूल विलय आदेश को चुनौती दी गई थी।

क्या है मामला?

बेसिक शिक्षा विभाग ने 16 जून 2025 को एक आदेश जारी कर कहा था कि छात्रों की संख्या के आधार पर कुछ प्राथमिक विद्यालयों को उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय किया जाएगा। याचिकाओं में इसे मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE Act) का उल्लंघन बताया गया।

याचियों ने तर्क दिया कि इस निर्णय से ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे बच्चों को दूर स्कूल जाना पड़ेगा, जिससे उनके शिक्षा अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

सरकार की दलील

राज्य सरकार ने अदालत में जवाब देते हुए कहा कि यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए उठाया गया है। सरकार ने 18 ऐसे स्कूलों का उदाहरण दिया जिनमें एक भी छात्र नामांकित नहीं है। इन स्कूलों को पास के स्कूलों में विलय कर शिक्षकों व संसाधनों का प्रभावी उपयोग किया जाएगा।

कोर्ट का निर्णय

सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई पूरी कर ली थी और सोमवार को निर्णय सुनाया। हालांकि अदालत के विस्तृत आदेश की प्रति अभी सार्वजनिक नहीं की गई है।

निष्कर्ष
यह मामला बच्चों के शिक्षा अधिकार और सरकारी नीतियों के बीच संतुलन का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। जहाँ सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की बात कर रही है, वहीं अभिभावकों और याचियों को अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता है।

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