सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील योजना (एमडीएम) के तहत बच्चों को मिलने वाले भोजन में भारी अनियमितता सामने आई है। केवल एक कप साधारण चाय की कीमत में छात्रों को पौष्टिक भोजन देने की योजना है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। जांच में अनियमितता पकड़े जाने के बाद राज्यभर के 5100 से अधिक प्रधानाध्यापकों (एचएम) पर 10 करोड़ 87 लाख 81 हजार 433 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
सिर्फ दो जिले पूरी तरह अनुपालन में
शेखपुरा और शिवहर जिले के एचएम ने ही पूरी जुर्माना राशि जमा कराई है। शेखपुरा के लगभग 200 शिक्षकों पर 5 लाख 37 हजार 468 रुपये और शिवहर के 85 से अधिक एचएम पर 64 हजार 304 रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
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बाकियों की ढिठाई बरकरार
बाकी जिलों के अधिकतर एचएम ने पांच महीने बीतने के बाद भी जुर्माना नहीं भरा है। एमडीएम निदेशक विनायक मिश्रा ने 19 मई को समीक्षा बैठक के बाद जानकारी दी कि यह आदेश की सीधी अवहेलना है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जुर्माना शीघ्र नहीं जमा हुआ, तो संबंधित डीईओ और डीपीओ के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
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एफआईआर के आदेश, पर एक भी नहीं दर्ज
दिसंबर 2024 में विभाग ने साफ निर्देश दिया था कि जुर्माना नहीं भरने वाले एचएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। लेकिन 20 मई 2025 तक किसी एक के विरुद्ध भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। हालांकि 499 एचएम के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई और 608 ने अपील दायर की है।
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नालंदा: कुछ सकारात्मक पहलू
नालंदा जिले में 500 से अधिक एचएम पर 26 लाख 12 हजार 61 रुपये का जुर्माना लगाया गया, जिसमें से अब तक 25 लाख 68 हजार 829 रुपये वसूल किए जा चुके हैं। शेष 43 हजार 232 रुपये की वसूली अभी बाकी है। यहां 64 एचएम ने पुनर्विचार की गुहार लगाई है, जबकि 42 के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की औपचारिकता निभाई गई।