प्रदेश के बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों की ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आईडी बनाने की प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है। अब तक कुल 49 फीसदी छात्रों की ही आईडी बन पाई है, जबकि 51 फीसदी अभी भी लंबित हैं।
आधार से नामांकन डेटा में अंतर बना समस्या
अपार आईडी बनने में सबसे बड़ी बाधा आधार कार्ड और स्कूल नामांकन में दर्ज विवरणों का अंतर है। इसके अलावा, यू-डायस पोर्टल पर डेटा अपडेट न होने, जन्मतिथि भिन्न होने और जन्म प्रमाण पत्र में त्रुटियों के कारण भी समस्याएं आ रही हैं।
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कुछ जिलों में धीमी प्रगति, कुछ में सुधार
प्रदेश में अपार आईडी निर्माण की प्रगति अलग-अलग जिलों में भिन्न है। कानपुर नगर (73.36%), आगरा (63.57%), मुरादाबाद (62.71%), मेरठ (62.30%) और गाजीपुर (62.16%) जैसे जिलों में पेंडेंसी अधिक है। वहीं, सीतापुर (36.60%), बहराइच (34.19%), बाराबंकी (38.87%) और बलरामपुर (40.21%) जैसे जिलों में स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है।
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शिक्षकों और शिक्षा अधिकारियों की राय
प्रदेश के शिक्षकों का कहना है कि आधार की जन्मतिथि को अनिवार्य बनाने और यू-डायस पोर्टल पर संशोधन अधिकार न होने से दिक्कतें आ रही हैं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि सॉफ्टवेयर की दिक्कतों को दूर किया जाए और प्रधानाचार्यों को यू-डायस में संशोधन का अधिकार मिले।
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शासन की प्रतिक्रिया
स्कूल शिक्षा की महानिदेशक कंचन वर्मा ने बताया कि सरकारी विद्यालयों में 80 फीसदी तक अपार आईडी बन चुकी हैं, लेकिन निजी विद्यालयों में यह प्रगति धीमी है। अपार आईडी निर्माण में आ रही दिक्कतों को शिक्षा मंत्रालय के संज्ञान में लाया गया है और सुधार के प्रयास जारी हैं।