लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में विद्यार्थियों की आटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक एकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आइडी बनाने में लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों का वेतन रोका गया है। जनवरी महीने का वेतन लखनऊ, बहराइच, कौशांबी और मैनपुरी सहित कई जिलों के उन शिक्षकों का रोक लिया गया है, जिन्होंने निर्धारित समय सीमा में अपार आइडी प्रक्रिया पूरी नहीं की।
अब तक सरकारी विद्यालयों में 61 प्रतिशत छात्रों की अपार आइडी बनाई जा सकी है, जिससे शिक्षा विभाग में असंतोष और नाराजगी का माहौल है। इससे निपटने के लिए अधिकारियों ने सख्ती बढ़ा दी है और अब उन विद्यालयों के शिक्षकों को चिह्नित किया जा रहा है, जिनके यहां 50 प्रतिशत से कम छात्रों की अपार आइडी बनाई गई है। इन शिक्षकों के वेतन में कटौती की जा रही है।
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अपार आइडी का महत्व विद्यार्थियों के शैक्षिक रिकॉर्ड के ऑनलाइन संग्रहण में है, जिससे उनका पूरा शैक्षिक इतिहास आसानी से उपलब्ध हो सकेगा। राज्य में 1.33 लाख प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के साथ-साथ 2,440 राजकीय माध्यमिक स्कूलों और 4,500 सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में कुल मिलाकर 2.54 करोड़ विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं।
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इस बीच, शिक्षक संगठनों ने विरोध जताया है। उप्र बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि कई अभिभावक आधार कार्ड देने से मना कर रहे हैं और तकनीकी समस्याओं का सामना भी हो रहा है। उनका कहना है कि शिक्षकों को राहत दी जानी चाहिए और इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय दिया जाए।
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माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव ने कहा कि अपार आइडी बनाने में लापरवाही करने वाले शिक्षकों के वेतन रोकने का आदेश सभी जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों को जारी कर दिया गया है। बुधवार को महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा इस प्रक्रिया की समीक्षा करेंगी।