Amethi: निपुण भारत मिशन के तहत प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों की दक्षता आकलन के लिए बनाए गए निपुण लक्ष्य एप में तकनीकी खामियां सामने आ रही हैं। एप में हैंग होने और इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या के कारण, उत्तीर्ण बच्चे भी फेल दिखाए जा रहे हैं। इस समस्या से बच्चों के वास्तविक प्रदर्शन का आकलन करना कठिन हो गया है, जिससे पूरे मिशन की प्रामाणिकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
निपुण भारत मिशन और उद्देश्य
मिशन का उद्देश्य कक्षा 1 और 2 के बच्चों में मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान का विकास करना है। इसके तहत, बच्चों का अधिगम स्तर जांचने के लिए दिसंबर और फरवरी में आकलन किया जाना तय है। किसी विद्यालय में यदि 80% या उससे अधिक छात्र-छात्राएं निपुण घोषित होते हैं, तो उस विद्यालय को 'निपुण विद्यालय' का दर्जा दिया जाएगा। इसी तरह, यदि किसी विकास खंड के 80% विद्यालय इस लक्ष्य को प्राप्त करते हैं, तो उसे 'निपुण विकास खंड' घोषित किया जाएगा।
तकनीकी समस्याओं से आकलन प्रभावित
जिले के 465 विद्यालयों में डीएलएड प्रशिक्षुओं के माध्यम से नियमित रूप से बच्चों का आकलन किया जा रहा है। प्रत्येक कक्षा से 12-12 बच्चों को रैंडम आधार पर चुना जाता है। लेकिन नेट कनेक्टिविटी की दिक्कत और एप के हैंग होने से बच्चों का सही मूल्यांकन नहीं हो पा रहा है। इससे दक्षता आकलन के आंकड़ों की सटीकता पर असर पड़ रहा है।
समस्या के समाधान की मांग
शिक्षकों और प्रशिक्षुओं का कहना है कि निपुण लक्ष्य एप की तकनीकी समस्याओं को तुरंत हल किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यदि ऑनलाइन प्रणाली सुचारू नहीं हो पाती है, तो वैकल्पिक मैनुअल आकलन की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि समस्या की जानकारी उच्च स्तर पर भेजी गई है और जल्द ही एप में सुधार किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चों का आकलन पारदर्शी और सटीक तरीके से हो सके।