लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर 2025 से शुरू होकर 24 दिसंबर तक चलेगा। इस सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार 22 दिसंबर को अपना पहला अनुपूरक बजट पेश करेगी। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना दोपहर करीब 12:20 बजे इसे सदन के पटल पर रखेंगे।
अनुपूरक बजट का मुख्य उद्देश्य राज्य में चल रही बड़ी परियोजनाओं और नई जनहित योजनाओं के लिए अतिरिक्त धन की व्यवस्था करना है। ऐसे में लंबे समय से मानदेय बढ़ोतरी की मांग कर रहे उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों की उम्मीदें भी इस सत्र से जुड़ी हुई हैं।
सत्र शुरू होने से पहले ही शिक्षामित्र संगठनों के पदाधिकारियों ने मंत्रियों और अधिकारियों से मुलाकात कर अपनी मांगों को रखा था। उनका प्रयास है कि इस बार बजट में शिक्षामित्रों के मानदेय में सम्मानजनक बढ़ोतरी का प्रावधान किया जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही यह कह चुके हैं कि शिक्षामित्रों के मानदेय में बढ़ोतरी की जाएगी और भविष्य में उन्हें बार-बार भटकना नहीं पड़ेगा।
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इस बार बजट का फोकस भले ही बड़ी परियोजनाओं और जनहित योजनाओं पर हो, लेकिन शिक्षामित्रों को उम्मीद है कि सरकार उनकी समस्याओं को भी प्राथमिकता देगी। खासकर मानदेय से जुड़ा मुद्दा शिक्षामित्रों के लिए सबसे अहम है, जिस पर वे सरकार से ठोस निर्णय की अपेक्षा कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश विधानमंडल का यह शीतकालीन सत्र कुल चार कार्य दिवसों का होगा। 19 दिसंबर को सत्र की शुरुआत शोक संवेदना के साथ होगी, जिसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी जाएगी। 20 और 21 दिसंबर को शनिवार और रविवार का अवकाश रहेगा। 22 दिसंबर को अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा, 23 दिसंबर को बजट और विधायी कार्यों पर चर्चा होगी, जबकि 24 दिसंबर को अनुपूरक बजट के पारित होने के साथ सत्र समाप्त हो जाएगा।
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जानकारों के अनुसार अनुपूरक बजट का आकार लगभग 100 करोड़ रुपये से लेकर 15,000 करोड़ रुपये तक हो सकता है। सरकार का मुख्य ध्यान बुनियादी ढांचे के विकास, विशेष रूप से सड़कों के निर्माण और मरम्मत पर रहेगा। इसके अलावा औद्योगिक गलियारों, डाटा सेंटर जैसी परियोजनाओं और निवेश बढ़ाने से जुड़ी योजनाओं के लिए भी फंड की व्यवस्था की जा सकती है।
इन सबके बीच फिलहाल शिक्षामित्रों के लिए किसी ठोस घोषणा के संकेत स्पष्ट नहीं दिख रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के बयान के बाद यह सत्र शिक्षामित्रों के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। शिक्षामित्र संगठनों की कोशिश है कि सत्र के दौरान ही मुख्यमंत्री से मुलाकात कर उनकी समस्याओं के समाधान को लेकर ठोस बातचीत की जाए।
अब देखना यह होगा कि अनुपूरक बजट और सत्र की चर्चाओं के बीच शिक्षामित्रों को कोई बड़ी राहत मिलती है या नहीं। तय है कि इस सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमीनी मुद्दों को लेकर तीखी बहस देखने को मिल सकती है, और शिक्षामित्रों का मुद्दा भी इन चर्चाओं का हिस्सा बन सकता है।
