लखनऊ: उत्तर प्रदेश में साल 2025 के खत्म होने के साथ ही नए साल 2026 को लेकर शिक्षामित्रों की उम्मीदें एक बार फिर तेज़ हो गई हैं। प्रदेश के लाखों शिक्षामित्र इस समय केवल और केवल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं। इसकी वजह यह है कि हाल के महीनों में जिस तरह से शासन–प्रशासन स्तर पर बयान और गतिविधियां सामने आई हैं, उससे यह संकेत जरूर मिल रहा है कि आने वाला साल शिक्षामित्रों के लिए अहम साबित हो सकता है।
हर साल यह कहा जाता रहा है कि अगला वर्ष शिक्षामित्रों के लिए बेहतर होगा, लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग नजर आ रही है। हाल ही में विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों और बैठकों में यह बात बार-बार दोहराई गई कि शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि की जाएगी। सरकार की ओर से ऐसा कोई बयान सामने नहीं आया है, जिससे शिक्षामित्रों में निराशा फैले। बल्कि लगातार यही संदेश दिया गया कि आने वाले समय में उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
इस बीच यह भी देखने को मिला कि बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने अपने पुराने उस बयान पर कोई चर्चा नहीं की, जिसमें मानदेय को 3500 से 10,000 रुपये तक करने की बात कही गई थी। हालांकि, इस पर चुप्पी के बावजूद शासन स्तर पर यह संकेत जरूर दिया गया कि मानदेय बढ़ोतरी का फैसला लंबित नहीं रहेगा। इससे शिक्षामित्रों को यह भरोसा मिला कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है।
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वहीं दूसरी ओर, एमएलसी श्रीचंद शर्मा लगातार शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के पक्ष में सक्रिय नजर आ रहे हैं। उनके द्वारा लगातार शासन–प्रशासन से मुलाकातें की जा रही हैं और हर स्तर पर शिक्षामित्रों की मांगों को रखा जा रहा है। श्रीचंद शर्मा का कहना है कि सरकार से सकारात्मक बातचीत चल रही है और शिक्षामित्रों को जो सुविधाएं दी जानी हैं, उन पर तेजी से काम हो रहा है।
एमएलसी श्रीचंद शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शिक्षामित्रों के हित में कई बड़े फैसले पहले ही लिए जा चुके हैं। कैशलेस चिकित्सा सुविधा को शिक्षा मित्रों, अनुदेशकों और वित्तविहीन शिक्षकों तक विस्तार देना एक बड़ा कदम है। इसके साथ ही लंबे समय से अटकी स्थानांतरण नीति को भी लागू किया गया है, जिससे कई शिक्षकों को राहत मिली है।
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उन्होंने यह भी बताया कि महिला शिक्षकों के स्थानांतरण से जुड़े मामलों में भी डाटा एकत्र किया जा रहा है, ताकि विवाह के बाद दूसरे जिलों में चली गई शिक्षिकाओं को उनके मूल स्थान या नजदीकी क्षेत्र में पोस्टिंग का लाभ मिल सके। इस दिशा में भी कार्रवाई शुरू हो चुकी है।
एमएलसी के अनुसार, शिक्षामित्रों से जुड़े जिन मुद्दों पर लंबे समय से ठहराव बना हुआ था, उनमें अब धीरे-धीरे बर्फ पिघल रही है। दो बड़े फैसले पहले ही शिक्षामित्रों के पक्ष में हो चुके हैं और जो अहम फैसला अभी शेष है, उस पर भी सकारात्मक परिणाम आने की पूरी उम्मीद है।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या जनवरी 2026 से शिक्षामित्रों के लिए कोई ठोस घोषणा होगी। हालांकि अभी किसी निश्चित महीने का नाम सामने नहीं आया है, लेकिन सरकार की ओर से यह जरूर कहा गया है कि आने वाले समय में शिक्षामित्रों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
इन सभी संकेतों के बीच शिक्षामित्रों को पूरी उम्मीद है कि वर्ष 2026 उनके जीवन में स्थिरता और राहत लेकर आएगा और वर्षों से लंबित मानदेय वृद्धि का सपना इस साल साकार हो सकता है।
