लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट में शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि से जुड़ी अवमानना याचिका पर मंगलवार को अहम सुनवाई हुई। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि शिक्षामित्रों के सम्मानजनक मानदेय बढ़ाने के संबंध में गठित समिति की सिफारिशों पर जल्द निर्णय लिया जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने वाराणसी के विवेकानंद द्वारा दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि समिति की रिपोर्ट पर उचित कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
अपर मुख्य सचिव (बेसिक शिक्षा) ने इस मामले में अपना हलफनामा अदालत में दाखिल किया, जिसमें बताया गया कि 21 अक्टूबर को समिति की बैठक हुई थी। बैठक में शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने के मुद्दे पर चर्चा की गई और रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है।
गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने 12 जनवरी 2024 को प्रदेश सरकार को चार सप्ताह के भीतर एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का आदेश दिया था, जो शिक्षामित्रों के सम्मानजनक मानदेय बढ़ाने पर विचार करे। समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, लेकिन अभी तक उस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
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अदालत ने यह कहते हुए अवमानना याचिका खारिज कर दी, कि फिलहाल सरकार को समिति की सिफारिशों पर शीघ्र निर्णय लेना चाहिए। कोर्ट ने उम्मीद जताई कि सरकार इस दिशा में शीघ्र और ठोस कदम उठाएगी।
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मुख्य बिंदु:
- हाई कोर्ट ने शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि पर सरकार से जल्द निर्णय लेने को कहा।
- 21 अक्टूबर को हुई समिति की बैठक में मानदेय बढ़ाने पर चर्चा हुई थी।
- अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया।
- कोर्ट ने अवमानना याचिका को खारिज किया, लेकिन सरकार से समिति की रिपोर्ट पर कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा।
- समिति का गठन 12 जनवरी 2024 के कोर्ट आदेश के बाद किया गया था।
