बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र (CDP) TET Notes: सिद्धांत, प्रश्न और शॉर्ट ट्रिक्स

TET तैयारी: बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र (Child Development & Pedagogy) – सम्पूर्ण मार्गदर्शिका

परिचय

शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) में बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र (CDP) एक ऐसा विषय है जो न केवल परीक्षा में सबसे अधिक वेटेज रखता है बल्कि वास्तविक शिक्षण जीवन के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। इस सेक्शन से सामान्यतः 30 प्रश्न पूछे जाते हैं। अगर आप इस विषय को अच्छी तरह समझ लें, तो TET में सफलता आसान हो जाती है।


1. बाल विकास की अवस्थाएँ (Stages of Child Development)

(क) शैशव अवस्था (0–6 वर्ष):

  • भाषा और संज्ञानात्मक क्षमताओं की नींव पड़ती है।
  • बच्चे अनुकरण और अवलोकन से सीखते हैं।
  • इस अवस्था में खेल-आधारित शिक्षण सबसे प्रभावी होता है।

(ख) बाल्यावस्था (6–12 वर्ष):

  • यह “स्कूल जाने की उम्र” कहलाती है।
  • जिज्ञासा अधिक होती है, बच्चे प्रश्न पूछते हैं।
  • तार्किक सोच विकसित होना शुरू होती है।
  • समूह में सीखने की प्रवृत्ति पनपती है।

(ग) किशोरावस्था (12–18 वर्ष):

  • शारीरिक और मानसिक विकास तीव्र होता है।
  • पहचान (Identity) और स्वतंत्रता की भावना प्रबल होती है।
  • मित्र समूह का प्रभाव बढ़ता है।
  • शिक्षक को इस अवस्था में काउंसलर की भूमिका भी निभानी पड़ती है।

2. प्रमुख मनोवैज्ञानिक सिद्धांत

पियाजे का संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत

  1. संवेदी-मोटर अवस्था (0–2 वर्ष): इंद्रियों और गतिविधियों से सीखना।
  2. पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (2–7 वर्ष): कल्पना शक्ति और भाषा का विकास।
  3. ठोस संक्रियात्मक अवस्था (7–11 वर्ष): वस्तुओं को ठोस रूप से समझने की क्षमता।
  4. औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था (11 वर्ष से आगे): अमूर्त सोच और तर्क करने की क्षमता।

महत्व: परीक्षा में अक्सर आयु और अवस्था मिलाने वाले प्रश्न पूछे जाते हैं।


वाइगोत्स्की का समाज-सांस्कृतिक सिद्धांत

  • सीखना सामाजिक अंतर्क्रिया से होता है।
  • शिक्षक और साथी बच्चों का योगदान महत्वपूर्ण।
  • Zone of Proximal Development (ZPD): बच्चे की वास्तविक क्षमता और संभावित क्षमता के बीच का क्षेत्र।
  • शिक्षक का कार्य scaffolding (सहारा देना) है।

कोहलबर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत

  1. पूर्व पारंपरिक स्तर: दंड और पुरस्कार के आधार पर आचरण।
  2. पारंपरिक स्तर: समाज और नियमों के पालन पर आधारित आचरण।
  3. परिपक्व स्तर: नैतिक मूल्यों और आदर्शों के अनुसार आचरण।

स्किनर का अधिगम सिद्धांत (Operant Conditioning)

  • सीखना पुरस्कार और दंड से प्रभावित होता है।
  • सकारात्मक प्रोत्साहन (Positive Reinforcement) सबसे प्रभावी तरीका है।

3. शिक्षण विधियाँ (Teaching Methods)

  • व्याख्यान विधि (Lecture Method): जानकारी जल्दी पहुँचती है लेकिन बच्चों की सक्रिय भागीदारी नहीं होती।
  • संवाद विधि (Discussion Method): प्रश्न-उत्तर से समझ गहरी होती है।
  • प्रदर्शन विधि (Demonstration Method): प्रयोग और उदाहरण से सीखना।
  • समस्या समाधान विधि (Problem Solving Method): तार्किक सोच और रचनात्मकता विकसित होती है।
  • खेल आधारित विधि (Play Way Method): छोटे बच्चों के लिए सबसे प्रभावी तरीका।

4. परीक्षा की तैयारी के टिप्स

  1. Concept Clear रखें: केवल रटने से CDP याद नहीं रहती, समझना जरूरी है।
  2. Short Notes बनाएं: सिद्धांत, अवस्थाएँ और मनोवैज्ञानिकों के नाम छोटे-छोटे बिंदुओं में लिखें।
  3. Previous Year Questions हल करें: अक्सर प्रश्न दोहराए जाते हैं।
  4. NS NOW Daily Quiz करें: हमारे वेबसाइट पर रोज नए-नए क्विज आते हैं। जिसे TET/CTET के विशेष शिक्षकों द्वारा बनाया जाता है। हर दिन उससे अभ्यास करें।
  5. Mock Test दें: आप हमारे वाट्सऐप चैनल से जुड़े ज्यादा यहां टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है - चैनल पर जाएं

5. संभावित परीक्षा प्रश्न

  1. पियाजे के अनुसार “ठोस संक्रियात्मक अवस्था” किस आयु वर्ग में होती है?

    • (a) 0–2 वर्ष
    • (b) 2–7 वर्ष
    • (c) 7–11 वर्ष
    • (d) 11–15 वर्ष
    • उत्तर: (c) 7–11 वर्ष
  2. “निकट विकास का क्षेत्र” (ZPD) किस मनोवैज्ञानिक ने दिया?

    • (a) पियाजे
    • (b) वाइगोत्स्की
    • (c) कोहलबर्ग
    • (d) स्किनर
    • उत्तर: (b) वाइगोत्स्की
  3. कोहलबर्ग के नैतिक विकास का अंतिम स्तर कौन-सा है?

    • (a) पूर्व पारंपरिक स्तर
    • (b) पारंपरिक स्तर
    • (c) परिपक्व स्तर
    • (d) सामाजिक स्तर
    • उत्तर: (c) परिपक्व स्तर
  4. “Positive Reinforcement” शब्द किसने दिया?

    • (a) पियाजे
    • (b) वाइगोत्स्की
    • (c) स्किनर
    • (d) ब्रूनर
    • उत्तर: (c) स्किनर
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TET की तैयारी में बाल विकास एवं शिक्षा शास्त्र (CDP) को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यह न केवल परीक्षा का सबसे स्कोरिंग हिस्सा है बल्कि एक अच्छे शिक्षक बनने के लिए आवश्यक भी है। यदि आप इसे समझकर पढ़ेंगे, तो यह विषय आपको अंक दिलाने के साथ-साथ जीवनभर उपयोगी रहेगा। - NS NOW TEAM

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