जातीय व्यवस्था बंद करनी है तो सबसे पहले SC/ST एक्ट और जातिगत आरक्षण समाप्त कराए: सुरज प्रसाद चौबे


राष्ट्रीय सवर्ण आर्मी भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरज प्रसाद चौबे ने उत्तर प्रदेश सरकार से अपील की है कि जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए सिर्फ पुलिस अभिलेखों और सार्वजनिक स्थानों पर जाति अंकित करने पर रोक लगाने से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा तहसीलों में जाति प्रमाण पत्र जारी करना, स्कूल और महाविद्यालयों में प्रवेश में जाति लिखना और विभिन्न सरकारी योजनाओं में जाति के आधार पर भेदभाव करना विद्वेष को बढ़ावा देता है।

सुरज प्रसाद चौबे ने बताया कि जाति के आधार पर फीस और सरकारी लाभों में भेदभाव जारी है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, कायस्थ और वैश्य वर्ग के लोगों को अधिक फीस चुकानी पड़ रही है, जबकि पासवान और दलित वर्ग को कम फीस देना पड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि जाति के नाम पर आरक्षण, सरकारी नौकरी, गैस, आवास और स्कॉलरशिप देने से जातिवाद नहीं समाप्त होगा।

उन्होंने सरकार से कहा कि गाड़ियों पर साइनबोर्ड और जातीय रैलियों पर प्रतिबंध का स्वागत है, लेकिन जातिवाद को समाप्त करने के लिए सबसे पहले एससी/एसटी एक्ट और जातिगत आरक्षण पर कार्रवाई करनी होगी। उन्होंने उन लोगों पर भी कार्यवाही की मांग की जो जातिगत जनगणना और आरक्षण बढ़ाने की बात कर रहे हैं।

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सुरज प्रसाद चौबे ने कहा कि यदि सरकार जाति के नाम पर भेदभाव और आरक्षण को बढ़ावा देना बंद नहीं करती, तो सवर्ण समुदाय की आवाज उठाते रहेंगे। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से चेतावनी दी कि दोहरा चरित्र अपनाने से बचें और सचमुच जातीय व्यवस्था समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाएं।

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