Question: RTI क्या है?
RTI यानी सूचना का अधिकार (Right to Information) भारत के हर नागरिक को यह अधिकार देता है कि वह सरकार से जानकारी मांग सके। चाहे वह केंद्र सरकार हो, राज्य सरकार, ग्राम पंचायत या कोई सरकारी विभाग — RTI के तहत नागरिक यह जान सकते हैं कि कोई फैसला कैसे लिया गया, पैसा कहां खर्च हुआ, या उनका कोई आवेदन लंबित क्यों है।
RTI एक्ट कब बना?
RTI Act 2005 में लागू हुआ था। इससे पहले सरकारी कामकाज आम जनता से छिपाकर रखा जाता था, लेकिन अब कोई भी नागरिक पूछ सकता है कि कोई सरकारी कार्य किस प्रक्रिया से हुआ।
RTI क्यों ज़रूरी है?
- सरकारी पारदर्शिता बढ़ाने के लिए
- भ्रस्टाचार पर रोक लगाने के लिए
- लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए
- सरकारी फैसलों में जवाबदेही तय करने के लिए
RTI कैसे काम करता है?
- नागरिक RTI के तहत किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी मांगते हैं।
- संबंधित विभाग का Public Information Officer (PIO) उस पर कार्य करता है।
- 30 दिनों के अंदर जानकारी देना अनिवार्य होता है।
RTI के तहत क्या पूछा जा सकता है?
- सरकारी योजनाओं में खर्च का विवरण
- किसी भर्ती प्रक्रिया में चयन की जानकारी
- किसी योजना का लाभ किसे मिला
- सरकारी अधिकारी का कोई निर्णय क्यों लिया गया
- फ़ाइल की स्थिति क्या है
RTI कैसे डालें?
ऑफलाइन तरीका:
- एक सादे कागज पर RTI आवेदन लिखें।
- संबंधित विभाग के PIO को संबोधित करें।
- 10 रुपये का पोस्टल ऑर्डर या कोर्ट फीस टिकट संलग्न करें।
- डाक द्वारा भेजें या स्वयं जमा करें।
ऑनलाइन तरीका (केंद्र सरकार के लिए):
- वेबसाइट: https://rtionline.gov.in
- आवेदन भरें और ऑनलाइन शुल्क जमा करें।
अगर जवाब न मिले तो क्या करें?
- First Appeal: PIO के ऊपर अधिकारी को 30 दिन के भीतर अपील करें।
- Second Appeal: राज्य या केंद्रीय सूचना आयोग में अपील करें।
RTI से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- RTI हर भारतीय नागरिक का अधिकार है।
- केवल सरकारी विभागों में लागू होता है, निजी संस्थाओं पर नहीं।
- देश के सूचना आयोग इसकी निगरानी करते हैं।
निष्कर्ष
RTI एक ऐसा अधिकार है जिससे आम नागरिक सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही ला सकता है। यह लोकतंत्र की मजबूती की पहचान है। अगर आपको कोई जानकारी चाहिए तो RTI का प्रयोग ज़रूर करें — यह आपका अधिकार है।