उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में 21 अगस्त को सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने शिक्षामित्रों की मांगों और 12 जनवरी 2024 के आदेश के अनुपालन के बारे में गंभीरता से विचार किया। केस की सुनवाई दोपहर 2.55 बजे शुरू हुई।
कोर्ट ने सरकार की ओर से पेश अर्चना सिंह CSC से पूछा कि आदेश पालन के लिए कितने समय की आवश्यकता है। अधिकारियों ने 1 माह का समय मांगा। अदालत ने 18 सितम्बर की तिथि तय की और कहा कि उस दिन पूर्ण रूप से आदेश का पालन करते हुए शपथ पत्र दाखिल किया जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो चारों जिम्मेदार अधिकारी—दीपक कुमार (अपर मुख्य सचिव), कंचन वर्मा (महानिदेशक), प्रताप सिंह बघेल (निदेशक) और सुरेन्द्र तिवारी (सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद)—को कोर्ट में उपस्थित होना होगा और अवमानना की कार्यवाही होगी।
याद रहे कि 12 जनवरी 2024 को पारित आदेश के बाद शिक्षामित्रों ने लगातार 18 महीनों में सात कंटेम्प्ट याचिकाएँ दाखिल की हैं, जिससे अदालत को यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया कि आदेश का सही पालन हो। आज के फैसले के साथ कोर्ट ने स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया कि अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और आदेश का पालन करना अनिवार्य है।
याचिका दायर करने वाले प्रतिनिधियों ने न्यायपालिका की निष्पक्षता और संवेदनशीलता की सराहना की। अदालत के इस निर्णय से शिक्षामित्रों में उम्मीद की लहर दौड़ गई है कि उनके कानूनी संघर्ष का नतीजा जल्द ही सकारात्मक होगा।
18 सितम्बर को होने वाली अगली सुनवाई में अधिकारी पूर्ण अनुपालन का शपथ पत्र पेश करेंगे और कोर्ट में उनकी उपस्थिति अनिवार्य होगी। इस फैसले को यूपी शिक्षामित्रों के लंबे संघर्ष में एक महत्वपूर्ण सफलता माना जा रहा है।