विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति पर शिक्षा विभाग का बड़ा एक्शन, अब मुखिया-गांववाले भी रखेंगे नजर


पटना: बिहार सरकार ने सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। खासकर ऐसे शिक्षक जो स्कूल में हाजिरी लगाकर गायब हो जाते हैं, अब विभागीय रडार पर होंगे। शिक्षा विभाग ने इन शिक्षकों की निगरानी के लिए अब मुखिया, वार्ड सदस्य और ग्रामीणों को भी अधिकृत किया है।

इस संबंध में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सोमवार को सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, कार्यक्रम पदाधिकारी एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं।

शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर जारी

यदि किसी को यह सूचना मिलती है कि कोई शिक्षक या प्रधानाध्यापक स्कूल में उपस्थिति दर्ज करने के बाद गायब हो जाता है, तो इसकी जानकारी टोल फ्री नंबर 14417 या 18003454417 पर दी जा सकती है। शिकायत की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

सभी स्कूलों में लागू होगी यह व्यवस्था

यह नई व्यवस्था राज्य के सभी 81,223 प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में लागू की गई है। निर्देशों के अनुसार, शिक्षक अब केवल विद्यालय परिसर के अंदर ही अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकेंगे। यदि कोई शिक्षक परिसर से बाहर से उपस्थिति दर्ज करता है, तो वह अमान्य मानी जाएगी।


विद्यालय छोड़ने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई तय

ऐसे शिक्षक जो केवल उपस्थिति बनाकर विद्यालय छोड़ देते हैं और शाम में दोबारा हाजिरी लगाते हैं, उन पर भी नजर रखी जाएगी। प्रधानाध्यापक ऐसे मामलों की सूचना डीईओ (जिला शिक्षा पदाधिकारी) को देंगे। डीईओ तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।

अनाधिकृत अनुपस्थिति पर होगी सख्त कार्रवाई

यदि कोई शिक्षक बिना स्वीकृत अवकाश के विद्यालय से अनुपस्थित पाया गया, तो उसकी भी सूचना डीईओ को दी जाएगी और उस पर कार्रवाई की जाएगी।


बच्चों के लिए भी बनाई गई व्यवस्था

विद्यालय में उपस्थित छात्रों की आकस्मिक स्थिति में यदि उन्हें आवश्यक कारणों से विद्यालय छोड़ना पड़े, तो इसकी तिथि और समय एक पंजी में दर्ज की जाएगी। साथ ही, छात्रों के अभिभावकों को फोन पर सूचना देना अनिवार्य होगा।

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निष्कर्ष:
शिक्षा विभाग की इस सख्त पहल का मकसद विद्यालयों में अनुशासन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था को बहाल करना है। अब शिक्षकों की गैरहाजिरी और लापरवाही छिपाए नहीं छिपेगी, क्योंकि निगरानी का दायरा स्कूल प्रशासन से लेकर ग्रामीण स्तर तक बढ़ा दिया गया है।

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