प्रदेश में कम नामांकन वाले विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) के बाद खाली हुए 5000 से ज्यादा विद्यालयों में 15 अगस्त से बालवाटिका की औपचारिक शुरुआत कर दी गई है। इन विद्यालयों में 5 से 6 साल के बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
बालवाटिका के संचालन के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ ईसीसीई (ECCE) एजुकेटर की तैनाती की जा रही है। जब तक तैनाती की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक पूर्व में वहां तैनात रहे एक शिक्षामित्र या शिक्षक को समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है। ये शिक्षक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ मिलकर पठन-पाठन और आवश्यक व्यवस्था संभालेंगे।
ये भी पढ़ें: मुख्यमंत्री योगी ने स्कूलों की बदहाली पर जताई सख्ती, सभी डीएम-BSA को दिए ये सख्त निर्देश
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने स्पष्ट किया है कि इस प्रक्रिया को लेकर किसी तरह का भ्रम न रहे। उन्होंने कहा कि मर्जर वाले विद्यालय के शिक्षक अपने मूल विद्यालय (बालवाटिका) में पढ़ाने नहीं जाएंगे। विभाग ने साफ किया है कि इस आदेश की गलत व्याख्या की जा रही है।
ये भी पढ़ें: नकद में पैसे लेने-देने से पहले जान लें ये कानून, वरना लगेगा भारी जुर्माना
कंचन वर्मा ने बताया कि लखनऊ समेत कई जिलों में ईसीसीई एजुकेटर की भर्ती पूरी हो चुकी है, जबकि कुछ जिलों में प्रक्रिया जारी है। जल्द ही सभी विद्यालयों में एजुकेटर की नियुक्ति कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि न तो किसी शिक्षक को दो विद्यालयों में पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जा रही है और न ही उन्हें उनके पूर्व के विलय वाले विद्यालयों में भेजा जा रहा है।