मुजफ्फरपुर जिले के बोचहा प्रखंड स्थित राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय (उर्दू), पचगछिया में कार्यरत सरकारी शिक्षक परवेज आलम की कथित 'डॉक्टरी' इन दिनों चर्चा में है। परवेज आलम ने अपने सोशल मीडिया खातों पर ऐसी तस्वीरें और वीडियो साझा किए हैं, जिनमें वे दवाएं लिखते, इंजेक्शन लगाते और मरीजों को परामर्श देते नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये गतिविधियां किसी निजी क्लिनिक या मेडिकल शॉप में की जा रही हैं, जबकि उनके पास किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय डिग्री या पंजीकरण नहीं है।
सामाजिक कार्यकर्ता ने किया खुलासा
इस मामले को सबसे पहले सामाजिक कार्यकर्ता अंजार ए हाशमी ने उजागर किया। उन्होंने परवेज आलम पर सरकारी पद का दुरुपयोग करने और अवैध चिकित्सकीय कार्यों में संलिप्त होने का आरोप लगाया। हाशमी ने कहा कि बिना योग्य डिग्री और पंजीकरण के इलाज करना गंभीर अपराध है, जिससे लोगों की जान को खतरा हो सकता है। उन्होंने इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, जिलाधिकारी और सिविल सर्जन को लिखित शिकायत देकर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
स्वास्थ्य विभाग ने शुरू की जांच
मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. अजय कुमार ने पुष्टि की कि मामला विभाग के संज्ञान में आ गया है। उन्होंने बताया कि शिक्षक द्वारा सोशल मीडिया पर साझा की गई सामग्री और प्राप्त शिकायतों के आधार पर बोचहा प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी (BMO) को जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षक की दोहरी भूमिका पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि परवेज आलम दिन में विद्यालय में पढ़ाते हैं और शाम को कथित रूप से नर्सिंग होम चलाते हैं। कई ग्रामीण उन्हें डॉक्टर समझकर इलाज कराने जाते थे। आरोप है कि कुछ मरीजों को उनके इलाज से गंभीर दुष्परिणाम भी भुगतने पड़े हैं।
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कानूनी कार्रवाई की संभावना
स्वास्थ्य विभाग की टीम अब परवेज आलम की चिकित्सकीय योग्यता, उसके नर्सिंग होम के कागजात और सोशल मीडिया पर डाली गई सामग्री की गहन जांच करेगी। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम और ड्रग्स ऐंड कॉस्मेटिक्स ऐक्ट के तहत केस दर्ज कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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जनता से अपील
स्वास्थ्य विभाग ने आम लोगों से अपील की है कि वे किसी भी अपंजीकृत और अयोग्य व्यक्ति से इलाज न कराएं और हमेशा पंजीकृत चिकित्सकों से ही परामर्श लें।
यह मामला सरकारी जिम्मेदारियों की अनदेखी और लोगों की जान के साथ खिलवाड़ का गंभीर उदाहरण बनता जा रहा है, जिस पर अब प्रशासन की कड़ी नजर है।