उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों ने एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की। शिक्षक/शिक्षामित्र उत्थान समिति उत्तर प्रदेश के बैनर तले संगठन के पदाधिकारियों और शिक्षामित्रों ने आज हापुड़ में जिला पंचायत अध्यक्ष के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया है कि प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत लगभग 1,47,000 शिक्षामित्रों में से करीब 50,000 स्नातक, बीटीसी व टीईटी/सीटीईटी उत्तीर्ण हैं और NCTE के मानकों के अनुसार पूर्ण रूप से शिक्षक बनने की योग्यता रखते हैं। संगठन की प्रमुख मांगों में निम्नलिखित बिंदु शामिल रहे:
- हिमाचल प्रदेश व अन्य राज्यों की तर्ज पर नियमावली में संशोधन कर योग्य शिक्षामित्रों को उनके अनुभव व योग्यता के आधार पर सहायक अध्यापक पद पर नियमित किया जाए।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश (रामशरण मौर्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार, केस संख्या 003707/2020) के आलोक में सरकार के हलफनामे का हवाला देते हुए योग्य शिक्षामित्रों को सुपर टीईटी (ATRE) से छूट देकर सीधी नियुक्ति दी जाए।
- जब तक नियमितीकरण नहीं होता, तब तक "समान कार्य के लिए समान वेतन" की व्यवस्था लागू की जाए।
- नई शिक्षा नीति के अंतर्गत नॉन-टीईटी शिक्षामित्रों के लिए विभागीय टीईटी कराकर उन्हें भी नवीन नियमावली के तहत नियमित किया जाए।
- शिक्षामित्रों को शिक्षक के समान सभी प्रकार के अवकाश (आकस्मिक, चिकित्सीय, मातृत्व व बाल देखभाल अवकाश) प्रदान किए जाएं।
इस मौके पर संगठन के पदाधिकारी—गुरुवंत सिंह, इन्द्रभूषण शर्मा, शिवकुमार शर्मा, योगेश कुमार, सतीश कुमार, सुचित्रा देवी समेत कई शिक्षामित्र उपस्थित रहे।
संगठन ने सरकार से मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और जल्द समाधान की अपील की है।
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