बेसिक शिक्षा विभाग ने आठ साल बाद जिले के अंदर सामान्य तबादले की प्रक्रिया शुरू की है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि जहां शिक्षक कम हैं और जहां अधिक हैं, वहां संतुलन स्थापित किया जा सके। विभाग का यह प्रयास सफल रहा तो प्रदेश के 10 हजार से अधिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर किया जा सकेगा।
विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 1700 से अधिक विद्यालय ऐसे हैं जहां कोई नियमित शिक्षक नहीं है। इन विद्यालयों में पास के स्कूलों से शिक्षक या शिक्षामित्रों की तैनाती कर पढ़ाई कराई जा रही है। इसके अलावा 9100 से अधिक विद्यालयों में केवल एक नियमित शिक्षक हैं, जबकि कई विद्यालयों में जरूरत से ज्यादा शिक्षक तैनात हैं।
इस असंतुलन को दूर करने के लिए विभाग सामान्य तबादलों के माध्यम से प्रयास करेगा कि एकल शिक्षक या शिक्षकविहीन विद्यालयों को पर्याप्त शिक्षक मिल सकें। इसके लिए यू-डायस पोर्टल पर दर्ज छात्र संख्या और आरटीई मानकों को आधार बनाया गया है।
गर्मी की छुट्टियों में पूरी हो सकती है प्रक्रिया
विभाग ने वर्ष 2023 में परस्पर तबादला प्रक्रिया को केवल 24 दिनों में पूरा किया था, जिसमें 16,614 शिक्षकों को तबादले का अवसर मिला था। इसी तर्ज पर इस बार भी गर्मी की छुट्टियों के दौरान सामान्य तबादला प्रक्रिया को पूरा करने की योजना है। वर्तमान में जिले के अंदर और एक जिले से दूसरे जिले में परस्पर तबादलों की प्रक्रिया पहले से चल रही है।वर्तमान तबादला प्रक्रिया पर भी पड़ेगा असर
इस नई सामान्य तबादला व्यवस्था का प्रभाव वर्तमान में चल रही परस्पर तबादला प्रक्रिया पर भी पड़ सकता है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि यदि कोई शिक्षक परस्पर तबादला लेकर ऐसे विद्यालय में जाता है, जहां पहले से पर्याप्त शिक्षक हैं, तो उसे सामान्य तबादले के दौरान अन्य विद्यालय में भेजा जा सकता है।हालांकि, शासन ने यह स्पष्ट किया है कि सामान्य तबादले स्वेच्छा पर आधारित होंगे, लेकिन इन तबादलों में जाने वाले शिक्षक संबंधित जिले की वरिष्ठता सूची में सबसे नीचे गिने जाएंगे। इससे कई शिक्षक तबादले से बचना चाहेंगे, ताकि उनकी वरिष्ठता प्रभावित न हो।
बेसिक शिक्षा विभाग की यह पहल न केवल शिक्षकों के समुचित वितरण की दिशा में एक कदम है, बल्कि इससे विद्यालयों की पठन-पाठन व्यवस्था भी बेहतर होने की उम्मीद है।