Muzaffarpur: सरकारी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई को लेकर शिक्षकों की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। हाल ही में बिहार के विभिन्न जिलों में हुई गोपनीय जांच में यह सच्चाई सामने आई है कि कई शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के बजाय केवल अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने में रुचि रखते हैं। यह जांच राज्य के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ के निर्देश पर कराई गई थी।
जांच में सामने आई प्रमुख बातें:
1. उपस्थिति में धोखाधड़ी: कई स्कूलों में शिक्षक समय पर उपस्थित तो हो जाते हैं, लेकिन शिक्षण कार्य में रुचि नहीं दिखाते। इसके अलावा, कुछ स्कूलों में प्रधानाध्यापक और शिक्षकों द्वारा फर्जी उपस्थिति दर्ज करने के मामले भी सामने आए हैं। 50% से अधिक उपस्थिति दर्ज होने के बावजूद, वास्तविक उपस्थिति काफी कम पाई गई।
2. पढ़ाई के बजाय निजी काम: कई शिक्षक, विशेष रूप से जो अपने घरों के पास पदस्थापित हैं, शिक्षण कार्य को नजरअंदाज कर अन्य कार्यों में व्यस्त पाए गए।
3. बच्चों की कम उपस्थिति: रिपोर्ट में बताया गया कि सरकारी स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या अधिक है, लेकिन उपस्थिति बहुत कम है। अधिकांश बच्चे निजी स्कूलों या कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई करते हैं।
4. निरीक्षण में लापरवाही: निरीक्षण अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) द्वारा गड़बड़ियों की जानकारी होने के बावजूद आवश्यक कार्रवाई नहीं की जा रही है।
एसीएस ने दी चेतावनी:
अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिलों के डीईओ को सख्त चेतावनी दी है कि अगर शिक्षकों की इस लापरवाही में सुधार नहीं हुआ तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों में शिक्षकों की लापरवाही उजागर हुई है, वहां तत्काल कदम उठाए जाएं।
समर्पित शिक्षकों की सराहना:
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कुछ शिक्षकों के प्रयासों से स्कूलों के संचालन में सुधार हुआ है। ऐसे शिक्षकों को प्रोत्साहित करने और उनकी सराहना करने की बात कही गई।