संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण (Contract Employees Regularization) पर यूपी सरकार का फैसला
Lucknow – संविदा कर्मचारियों (Contract Employees) के नियमितीकरण (Regularization) का मुद्दा लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। ये बहस अब राज्यों की सीमाओं से निकलकर दिल्ली तक पहुंच चुकी है। देशभर में संविदा कर्मचारी अपनी स्थायी नियुक्ति (Permanent Employment) की मांग को लेकर आवाज उठा रहे हैं।
इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने नए साल से पहले संविदा कर्मचारियों के भविष्य को लेकर स्थिति साफ कर दी है। आइए जानते हैं कि सरकार की इस मुद्दे पर क्या राय है।
क्या कहा सरकार ने?
यूपी विधानसभा (UP Assembly) के शीतकालीन सत्र (Winter Session) के दौरान सपा विधायक (SP MLA) पंकज मलिक (Pankaj Malik) ने शिक्षामित्रों (Shiksha Mitra - Para Teachers) के मानदेय (Honorarium) और नियमितीकरण (Regularization) को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार शिक्षामित्रों के वेतन (Salary) में बढ़ोतरी (Increment) या उन्हें नियमित करने की योजना बना रही है।
इसके जवाब में बेसिक शिक्षा मंत्री (Basic Education Minister) (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह (Sandeep Singh) ने स्पष्ट किया कि फिलहाल शिक्षामित्रों का न तो मानदेय बढ़ेगा और न ही उन्हें नियमित किया जाएगा। वर्तमान में शिक्षामित्रों को ₹10,000 प्रति माह (₹10,000 per month) का मानदेय मिलता है।
शिक्षामित्रों की स्थिति (Current Status of Shiksha Mitra)
उत्तर प्रदेश में इस समय करीब 1.48 लाख (1.48 lakh) शिक्षामित्र कार्यरत हैं। इनमें से 20,000 से अधिक (more than 20,000) शिक्षामित्रों ने पहले ही नौकरी छोड़ दी है। प्राथमिक विद्यालयों (Primary Schools) में शिक्षक-छात्र अनुपात (Teacher-Student Ratio) 1:30 होना चाहिए, लेकिन शिक्षामित्रों की वजह से यह अनुपात 1:22 हो गया है।
इस संदर्भ में शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि सहायक शिक्षक (Assistant Teacher) भर्ती की तत्काल आवश्यकता नहीं है।
मामला क्या है? (What is the Issue?)
शिक्षामित्रों की नियुक्ति उत्तर प्रदेश में 2001 में शुरू हुई थी। 2013-14 में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की सरकार के दौरान 1.78 लाख (1.78 lakh) शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक (Assistant Teacher) के पद पर समायोजित (Adjusted) किया गया था।
हालांकि, इस समायोजन को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सितंबर 2015 (September 2015) में रद्द कर दिया था। राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।
सरकार की अगली योजना
हाईकोर्ट के 12 जनवरी 2024 (12 January 2024) के आदेश के अनुपालन में, शिक्षा निदेशक (Director of Education) की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति (High-Level Committee) का गठन किया गया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 9 अगस्त 2024 (9 August 2024) को सरकार को सौंप दी।
वित्तीय बोझ (Financial Burden) को देखते हुए यह रिपोर्ट वित्त विभाग (Finance Department) को भी भेजी गई है। हालांकि, सरकार के हालिया बयान से साफ है कि फिलहाल शिक्षामित्रों की उम्मीदों को झटका लगा है।
FAQs (Frequently Asked Questions)
1. क्या यूपी सरकार ने संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण पर कोई फैसला लिया है?
नहीं, यूपी सरकार ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल शिक्षामित्रों के मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी और न ही उन्हें नियमित किया जाएगा।
2. शिक्षामित्रों की नियुक्ति कब हुई थी?
उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों की नियुक्ति 2001 में शुरू हुई थी।
3. क्या शिक्षामित्रों के नियमितीकरण पर कोई कोर्ट का आदेश है?
हाँ, 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के इस फैसले को बरकरार रखा है।
4. यूपी में कितने शिक्षामित्र कार्यरत हैं?
वर्तमान में यूपी में करीब 1.48 लाख शिक्षामित्र कार्यरत हैं।
5. सरकार शिक्षामित्रों के लिए आगे क्या कदम उठा सकती है?
सरकार ने उच्चस्तरीय समिति से रिपोर्ट मंगवाई है, और वित्तीय बोझ के मूल्यांकन के बाद ही इस पर कोई फैसला लिया जाएगा।