करेवा विवाह करने वाली महिला विधवा पेंशन की हकदार नहीं: हाईकोर्ट


Chandigarh: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि करेवा विवाह, जिसमें विधवा महिला का विवाह उसके पति के भाई से होता है, पुनर्विवाह का मान्यता प्राप्त रूप है। कोर्ट ने कहा कि करेवा विवाह भारतीय समाज में व्यापक रूप से स्वीकृत है और इसे पुनर्विवाह की श्रेणी में माना जाता है। ऐसे में करेवा विवाह करने वाली महिला विधवा पेंशन की हकदार नहीं होगी।

यह फैसला कैथल जिले की शांति देवी की याचिका पर आया, जिसमें उन्होंने सरकार के आदेश को चुनौती दी थी। शांति देवी को सरकार ने 16 जनवरी, 2019 के आदेश के तहत 1,06,500 रुपये की राशि व्याज सहित लौटाने का नोटिस दिया था। यह राशि उन्हें विधवा पेंशन के रूप में प्राप्त हुई थी, जिसे करेवा विवाह के बाद अनुचित माना गया।

याचिकाकर्ता का तर्क:

शांति देवी ने याचिका में कहा कि उनके पति का निधन 1981 में हुआ था, जिसके बाद उन्होंने अपने देवर के साथ करेवा विवाह किया। 1999 से वह विधवा पेंशन प्राप्त कर रही थीं। उनके वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि करेवा विवाह सामाजिक दायित्व है, न कि वैध विवाह। उन्होंने यह भी कहा कि परिवारिक परंपरा के तहत किए गए इस विवाह के कारण उन्हें विधवा पेंशन के लाभों से वंचित करना अनुचित है।

कोर्ट का फैसला:

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि करेवा विवाह सामाजिक परंपरा में पुनर्विवाह के रूप में मान्यता प्राप्त है। विधवा पेंशन केवल उन महिलाओं के लिए है, जिन्होंने पुनर्विवाह नहीं किया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों में योजना का उद्देश्य ध्यान में रखना आवश्यक है, लेकिन करेवा विवाह को वैध मानते हुए इसे पुनर्विवाह माना जाएगा।

इस फैसले के बाद शांति देवी को सरकार से प्राप्त विधवा पेंशन की राशि लौटानी होगी। यह निर्णय भविष्य में ऐसे अन्य मामलों में भी मिसाल के तौर पर काम करेगा।

Post a Comment

Previous Post Next Post