मंगलवार को न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ ने वाराणसी निवासी याची विवेकानंद द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की। याची ने तर्क दिया कि शिक्षामित्रों को समान कार्य के लिए समान वेतन मिलना चाहिए। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सत्येंद्र चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि वर्ष 2023 में इस मुद्दे पर दाखिल याचिका में कोर्ट ने सरकार को शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया था।
सरकार की ओर से पेश वकील ने बताया कि कोर्ट के निर्देशानुसार शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने 9 अगस्त 2024 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। रिपोर्ट के आधार पर मानदेय बढ़ाने के प्रस्ताव को वित्त विभाग को सहमति के लिए भेजा गया है।
सरकार ने अदालत को यह भी अवगत कराया कि लगभग 1.5 लाख शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि से सरकारी खजाने पर भारी वित्तीय भार पड़ेगा। इस कारण वित्त विभाग की अनुमति आवश्यक है।
पृष्ठभूमि
12 जनवरी 2024 को हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों को पर्याप्त और सम्मानजनक मानदेय सुनिश्चित करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि जीवन-यापन के लिए वित्तीय इंडेक्स के आधार पर मानदेय निर्धारित किया जाए। इस आदेश का पालन न होने पर याची ने अवमानना याचिका दाखिल की थी।
अगली सुनवाई
अदालत ने राज्य सरकार से इस प्रक्रिया में तेजी लाने और वित्त विभाग की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई जल्द होने की संभावना है।