गोरखपुर: नगर निगम ने नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और लेखपाल जैसे पदों पर रिटायर्ड सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया है। इन पदों पर केवल रिटायर्ड कर्मचारियों को ही नियुक्त किया जाएगा। विज्ञापन में तहसीलदार के लिए 35,000 रुपये, नायब तहसीलदार के लिए 30,000 रुपये, राजस्व निरीक्षक के लिए 29,000 रुपये, और लेखपाल के लिए 27,000 रुपये मासिक वेतन निर्धारित किया गया है।
अखिलेश यादव का सरकार पर हमला
इस भर्ती को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह आरक्षण को खत्म करने की साजिश है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "बेहतर होगा कि भाजपा पूरी सरकार को आउटसोर्स कर दे, जिससे सारा कमीशन एक जगह सेट हो जाए। भाजपा के एजेंडे में नौकरी है ही नहीं। यह आर्थिक साजिश है, जिसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।"
सोशल मीडिया पर बढ़ रहा आक्रोश
इस विज्ञापन को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। यूजर्स इसे आरक्षण के खिलाफ एक साजिश बता रहे हैं।
एक यूजर ने लिखा, "इन पदों पर बीजेपी के कार्यकर्ताओं को ही नियुक्त किया जाएगा, यह आरक्षण को खत्म करने का नया तरीका है।" वहीं, एक अन्य यूजर ने सरकार को जनविरोधी बताते हुए लिखा, "यह सरकार नौकरी, आरक्षण और वोट लूटने के लिए बनी है।"
सरकार के कदम पर उठे सवाल
नगर निगम की इस नीति को लेकर विपक्ष और आम जनता सवाल उठा रही है।
आलोचकों का कहना है कि यह भर्ती प्रक्रिया युवाओं के रोजगार के अवसर छीनने और आरक्षण से जुड़े संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। वहीं, भाजपा की तरफ से इस मुद्दे पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब आउटसोर्सिंग के जरिए भर्तियों को लेकर विवाद खड़ा हुआ है। ऐसे में यह देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है।