Sawan 2024 : जानिए सावन में क्यों होती है भगवान शिव की पूजा


Sawan 2023: सावन का महीना शुरु हो चुका है और इसी के साथ ही भारत में त्योहारों की शुरुआत हो चुकी है। सावन का पूरा महीना केवल भगवान शंकर को समर्पित होता है। और भगवान शंकर के भक्त हर सोमवार को व्रत भी रखते हैं। हिंदू धर्म की मान्यता है कि सावन महीने में हर सोमवार को व्रत करके हम जो भी मनोकामना भगवान से मांगते हैं, वो पूरी हो जाती है। मान्यताओं के मुताबिक समुद्र मंथन भी सावन के ही महीने में हुआ था। समुद्र मंथन क्षीरसागर में हुआ था मंथन में कुल 14 रत्न निकले थे। जिसमें विष निकला था। जिसको भगवान शंकर ने अपने गले में धारण कर लिया था। जिसके कारण भगवान शंकर को नीलकंठ भी कहा जाता है। विष पान करके भगवान शंकर ने पूरे विश्व को बचाया था। लेकिन विष इतना प्रभावशाली था जिसके कारण भगवान शिव का कंठ जलने लगा था। जिसके बाद सभी देवी देवताओं ने उन्हें ठंडा करने के लिए उनके ऊपर जल डाला था। इसी के कारण सावन के पवित्र माह में भगवान शंकर के जलाभिषेक का बड़ा महत्व है।मान्यताओं के मुताबिक वर्षा ऋतु के चतुर्मास में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। और इस वक्त पूरी सृष्टि भगवान शिव के अधीन रहती है। इसी कारण भगवान शंकर के साथ भगवान को खुश करने के लिए कई तरह के धार्मिक कार्य जैसे दान, व्रत और उपवास करते हैं।

शिव को क्यों पसंद है सावन महीना

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक सावन का महीना भगवान शिव ( Lord Shiva ) का पसंदीदा महीना है। मान्यता है कि दक्ष पुत्री माता सती ने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन व्यतीत किया। इसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर माता पार्वती के रूप में जन्म लिया था। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए इसी पवित्र सावन माह में कठोर तपस्या की थी। जिसके बाद भगवान शंकर ने माता पार्वती से प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना पूरी की और उनसे विवाह किया। और यही कारण है कि इस पूरे महीने कुंवारी कन्याएं भगवान शिव से अच्छा वर पाने के लिए प्रार्थना करती हैं, और व्रत रखती हैं।मान्यता यह भी है इसी महीने भगवान शंकर ने धरती पर आकर अपने ससुराल का विचरण भी किया था। जहां भगवान शंकर का स्वागत अभिषेक कर किया गया था। इसीलिए सावन महीने में शिव के अभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है।

सावन में सुहागन महिलाएं क्यों पहनती हैं हरी चूड़ियां?

इस बार का सावन 4 जुलाई से शुरू हो रहा है, सुहागन महिलाएं सावन माह में हरी चूड़ियां पहनती हैं। जिसके कई कारण हैं पहला कारण यह है कि सावन माह में हर तरफ हरियाली छाई रहती हैं, पूरी प्रकृति हरी-भरी रहती है, इसी कारण सावन माह का हरे रंग से गहरा संबंध माना जाता है। दूसरा कारण, सावन माह में चारों तरफ हर्षोल्लास रहता है, हरे रंग को सावन में पहनना शुभ माना गया है क्योंकि हरे रंग को प्रकृति का रंग माना गया है। तीसरा कारण, भगवान शंकर का प्रकृति से गहरा नाता है, उन्हें प्रकृति से जुड़ी वस्तुएं बहुत प्रिय है। चौथा और आखिरी कारण यह है कि भोलेनाथ हिमालय में वास करते हैं तथा उनकी पूजा में हरे रंग का ही बेलपत्र, धतूरा, भांग चढ़ाया जाता है, यही कारण है कि सावन माह में हरे रंग का विशेष महत्व है।

सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है और यह पूरा महीना केवल भगवान शंकर को समर्पित रहने वाला है। पूरे महीने भक्त तमाम युक्तियां अपनाकर अपने आराध्य को खुश करने की कोशिश में लगे रहेंगे। कहते हैं सावन महीने में जो भक्त उत्तरवाहिनी गंगा का जल ले जाकर शिव का जलाभिषेक करता है। उन्हें मनवांछित फल का लाभ मिलेगा। इस पूरे महीने शिव मंदिरों पर काफी भीड़ देखने को मिलेगी। कोई कांवड़ ले जाएगा कोई देवघर जाएगा। सबकी अलग मनोकामनाएं होंगी। लेकिन सावन के पूरे माह में बोल बम की गूंज सुनाई देगी।