गांव के स्कूलों पर संकट: यूपी में 5 हजार से ज्यादा परिषदीय स्कूल मर्ज होने की तैयारी, ट्विटर पर #SaveVillageSchools कैंपेन शुरू


उत्तर प्रदेश सरकार ने कक्षा-8 तक के उन परिषदीय स्कूलों को मर्ज करने की तैयारी शुरू कर दी है, जिनमें छात्र संख्या 50 से कम है। इस फैसले से प्रदेश के करीब 5 हजार से अधिक स्कूल प्रभावित हो सकते हैं। अकेले सुल्तानपुर जिले में ऐसे 444 स्कूल चिह्नित किए जा चुके हैं।

क्या है योजना?

बेसिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने आदेश जारी किया है कि छात्र संख्या के आधार पर कमज़ोर स्कूलों को समीपवर्ती परिषदीय स्कूलों में विलय किया जाए। इसके बाद स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) से इस प्रकार के स्कूलों की सूची और उनके पड़ोसी स्कूलों की जानकारी मांगी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विलय केवल उन्हीं स्कूलों के साथ होगा जिनके बीच रास्ते में नदी, नाला, हाइवे या रेलवे ट्रैक न हो, जिससे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

सरकार का तर्क बनाम शिक्षक वर्ग की चिंता

सरकार का कहना है कि इस कदम से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और शिक्षकों की कार्यक्षमता बढ़ेगी। लेकिन शिक्षक संगठनों और शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों में भारी नाराजगी है। उनका मानना है कि इससे न सिर्फ भविष्य की भर्तियों पर असर पड़ेगा, बल्कि ग्रामीण बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित होगी।

एक शिक्षक अभ्यर्थी ने बयान में कहा, “गांव के नौनिहालों की शिक्षा पर संकट मंडरा रहा है। यदि हमारे गांव का स्कूल मर्ज होकर 2 किमी दूर चला गया, तो हमारे छोटे-छोटे बच्चे वहां तक कैसे पहुंचेंगे?”

ट्विटर (X) पर विरोध का बिगुल

सरकारी फैसले के खिलाफ आज, 18 जून 2025 को दोपहर 2 बजे से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक बड़ा ऑनलाइन विरोध शुरू किया जा रहा है। अभियान का हैशटैग है — #SaveVillageSchools। अभ्यर्थियों, शिक्षकों से इस हैशटैग को ट्रेंड करने की अपील की गई है, ताकि सरकार तक आवाज़ पहुंचाई जा सके।

क्या हैं प्रमुख चिंताएं?


छोटे बच्चों के लिए लंबी दूरी तय करना मुश्किल

शिक्षक पदों की संख्या घटने से भर्ती पर असर

गांवों में शिक्षा के प्रति घटती पहुंच

एक ही स्कूल में छात्रों का बोझ बढ़ने की आशंका

(लेखक: निखिल श्रीवास्तव)


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