विद्यालय बंद करने की योजना पर शिक्षक संघ का विरोध, मुख्यमंत्री से आदेश निरस्त करने की मांग


लखनऊ:
 उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कम छात्र संख्या के आधार पर विद्यालयों को समाप्त कर अन्य विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती की योजना पर शिक्षक संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। उत्तर प्रदेश शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने इस निर्णय को शिक्षा विरोधी करार देते हुए कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

डॉ. शर्मा ने कहा कि सर्व शिक्षा अभियान पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करना था। इस अभियान के तहत सरकार ने हर गाँव और मजरे में प्राथमिक विद्यालय और हर एक किलोमीटर की दूरी पर उच्च प्राथमिक विद्यालय स्थापित किए। लेकिन अब इस सोच के विपरीत विद्यालयों को बंद किया जा रहा है।

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उन्होंने कहा कि जनसंख्या वृद्धि दर में कमी आने के बावजूद विभाग ने कई अधो मानक विद्यालयों को मान्यता दी है और कई गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय भी अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहे हैं, जिससे सरकारी विद्यालयों में नामांकन कम हो रहा है। ऐसे में नामांकन घटने को आधार बनाकर विद्यालयों को बंद करना न्यायसंगत नहीं है।

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डॉ. शर्मा ने यह भी कहा कि सरकार ने विधान सभा में स्वयं स्वीकारा है कि उत्तर प्रदेश में छात्र-शिक्षक अनुपात मानकों के अनुसार है। ऐसे में यदि शिक्षकों की कमी है तो नई भर्ती की जानी चाहिए, न कि विद्यालयों को समाप्त कर शिक्षकों के पदों को घटाया जाए।

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उन्होंने बताया कि पहले भी लगभग 20 हजार विद्यालयों का मर्जर कर दिया गया, जिससे शिक्षकों की पदोन्नति के अवसर खत्म हो गए। वर्ष 2015 से अब तक किसी भी शिक्षक की पदोन्नति नहीं हुई है। अब नए आदेश से हजारों शिक्षक पद समाप्त हो जाएंगे, जिससे न केवल कार्यरत शिक्षकों को नुकसान होगा, बल्कि डीएलएड व बीटीसी पास युवाओं का शिक्षक बनने का सपना भी टूट जाएगा।

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डॉ. शर्मा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि इस निर्णय को अविलंब निरस्त किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि गाँवों में विद्यालयों को अन्यत्र स्थानांतरित किया गया तो ग्रामीणों में आक्रोश पैदा होगा।

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि किसी राज्य में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाई जा रही हो और विद्यालयों की संख्या घटाई जा रही हो, तो वह सरकार आलोचना की पात्र बनेगी।

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