स्कूल बचाने के लिए गांव-गांव जाकर बच्चे खोज रहे शिक्षक

फाइल फोटो

हराइच: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 50 से कम छात्र संख्या वाले परिषदीय विद्यालयों को अन्य विद्यालयों में विलय करने के आदेश के बाद शिक्षकों में हड़कंप मच गया है। जिले भर में ऐसे विद्यालयों की संख्या 123 बताई जा रही है, जिन पर अस्तित्व का संकट मंडरा रहा है। इस फैसले के विरोध में शिक्षक संगठन भी सक्रिय हो गए हैं और अब शिक्षक खुद गांव-गांव जाकर बच्चों को स्कूल में जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं।

तेजवापुर क्षेत्र में शिक्षकों की पहल

तेजवापुर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय चाईनपुरवा द्वितीय की प्रधानाध्यापक ममता शर्मा, शिक्षिका जूही साहू और अंजुल धवन ने विद्यालय को बंद होने से बचाने के लिए खुद कमान संभाली है। तीनों शिक्षिकाएं गांव में घर-घर जाकर अभिभावकों से मिल रही हैं और बच्चों को विद्यालय में दाखिला दिलाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। शिक्षिकाओं का कहना है कि अप्रैल से अब तक सिर्फ 17 बच्चों का नामांकन हुआ है, जबकि संख्या 50 तक पहुंचाना जरूरी है। बच्चों के आधार कार्ड बनवाने और स्कूल की सुविधाओं के बारे में भी अभिभावकों को जागरूक किया जा रहा है।

शिक्षक संगठनों ने जताया विरोध

राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की बहराइच इकाई के जिला अध्यक्ष आनंद मोहन मिश्र ने इस आदेश का विरोध करते हुए कहा कि विभाग प्रधानाध्यापकों से खंड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवा रहा है, जो गलत है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत हर एक किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक विद्यालय और तीन किलोमीटर में उच्च प्राथमिक विद्यालय होना अनिवार्य है। ऐसे में विद्यालयों का विलय बच्चों की शिक्षा से समझौता होगा।

विद्यालय बचाने की जद्दोजहद

प्रशासन के आदेश के बाद अब शिक्षक स्कूल बचाने की मुहिम में लग गए हैं। वे न सिर्फ बच्चों का नामांकन बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि ग्रामीणों को समझा रहे हैं कि अगर समय रहते छात्र संख्या नहीं बढ़ी तो गांव का स्कूल बंद हो सकता है। इससे बच्चों को दूर-दराज के विद्यालयों में जाना पड़ेगा, जिससे उनके शिक्षा पर असर पड़ सकता है।

शिक्षकों की यह पहल न केवल विद्यालय बचाने की कोशिश है, बल्कि गांव के बच्चों के भविष्य को संवारने की दिशा में भी एक सराहनीय कदम है।

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