बिहार में शिक्षकों-कर्मचारियों की बेटियों को मिलेगा मुफ्त आवासीय शिक्षा का लाभ


पटना: बिहार सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कन्या आवासीय प्लस-टू विद्यालयों में पदस्थापित नियमित शिक्षकों (प्रधानाध्यापक सहित) और कर्मचारियों की बेटियों को बड़ी राहत दी है। अब इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मियों की बेटियों को नि:शुल्क आवासीय शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।

पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा इस संबंध में संचालन नियमावली में संशोधन किया गया है। इसके तहत अब जिन विद्यालयों में शिक्षक या कर्मचारी कार्यरत हैं, उन्हीं विद्यालयों में उनकी बेटियों का नामांकन किया जा सकेगा। हालांकि यह नामांकन बाध्यकारी नहीं, बल्कि ऐच्छिक होगा।

पहले नहीं था कोई विशेष प्रावधान

पूर्व में इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों की बेटियों के नामांकन को लेकर कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं थी। इससे कर्मियों को अपनी बेटियों को दूरस्थ स्थानों पर पढ़ाना पड़ता था, जिससे पारिवारिक और शैक्षणिक चुनौतियां सामने आती थीं। अब यह संशोधन उनके लिए बड़ी राहत लेकर आया है।

जातीय प्रमाणपत्र की अनिवार्यता नहीं

नए प्रावधानों के अनुसार, इन बेटियों के लिए बीसी-I या बीसी-II श्रेणी का जातीय प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं होगा। वे अपने माता-पिता के साथ विद्यालय परिसर स्थित आवंटित क्वार्टर में रह सकेंगी।

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भोजन और कपड़ों की व्यवस्था अभिभावकों की जिम्मेदारी

हालांकि बच्चियों को नि:शुल्क शिक्षा और निवास की सुविधा दी जाएगी, लेकिन उनके भोजन और कपड़ों की जिम्मेदारी उनके माता-पिता की ही होगी।

इस फैसले से न सिर्फ कार्यरत कर्मियों को राहत मिलेगी, बल्कि छात्राओं के समग्र विकास के लिए परिवार के साथ रहकर पढ़ाई करने का अवसर भी मिलेगा।

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