उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों ने इस वर्ष आयोजित किए जा रहे समर कैंप का एक सुर में बहिष्कार किया है। उनका कहना है कि भीषण गर्मी के बीच इस प्रकार की योजना लाना न सिर्फ शिक्षकों के साथ अन्याय है बल्कि उनके स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ है।
शिक्षामित्रों ने आरोप लगाया है कि सरकार जब उन्हें अयोग्य मानती है तो फिर ऐसे शिविरों में उनकी आवश्यकता कैसे पड़ रही है। इस समर कैंप के लिए सरकार ने ₹6000 मानदेय देने की घोषणा की थी, बावजूद इसके बड़ी संख्या में शिक्षामित्रों ने इसका बहिष्कार किया।
इस विषय पर शिक्षामित्र संगठन के अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला ने बताया कि शिक्षामित्रों को सालभर में बहुत कम अवकाश मिलते हैं, और गर्मी की छुट्टियां उनके निजी कामों के लिए एकमात्र अवसर होती हैं। ऐसे में अचानक समर कैंप की जिम्मेदारी थोपना अनुचित है। उन्होंने कहा कि अगर यह कैंप जुलाई में कराया जाता है तो सभी शिक्षामित्र पूरा सहयोग देने को तैयार हैं।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में महानिदेशक को पत्र भी लिखा गया है, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिला है। उनका यह भी कहना था कि यदि सरकार कैंप को गर्मियों में ही कराना चाहती है, तो शिक्षामित्रों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।
शिव कुमार शुक्ला ने यह भी सवाल उठाया कि जिन शिक्षामित्रों को दूर-दराज के विद्यालयों में भेजा गया है, वे 60–70 किलोमीटर दूर जाकर भीषण गर्मी में कैसे शिविर संचालन करेंगे।
उन्होंने अंत में अपील की कि शिक्षामित्रों की समस्याओं को समझते हुए समर कैंप की तिथि को आगे बढ़ाया जाए और छुट्टियों के बाद इसका आयोजन किया जाए। तभी शिक्षामित्र इसमें सहभागिता कर सकेंगे।