यह पत्र सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को संबोधित था और इसमें अंग्रेजी में फर्जी पत्रांक भी अंकित था। इसके साथ ही पत्र की प्रतिलिपि राज्य के डीआईईटी, पीटीईसी, बीआईईटी और सीटीई प्रशिक्षण संस्थानों को भी भेजने की बात लिखी गई थी।
इस फर्जी आदेश की सबसे खास बात यह थी कि इसका विषय एक अलग फॉन्ट में लिखा गया था, जबकि बाकी सामग्री दूसरे फॉन्ट में थी। इसी कारण यह आदेश पहली नजर में ही संदिग्ध प्रतीत हुआ। मामले की जानकारी मिलते ही अपर मुख्य सचिव ने इसे गंभीरता से लेते हुए तत्काल एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया और साइबर थाना को भी सूचित किया गया।
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सूत्रों के अनुसार, यह आदेश सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया था, जिससे टीआरई-3 के शिक्षकों में भ्रम और मानसिक तनाव की स्थिति बन गई। जानकारों का मानना है कि यह हरकत शरारती तत्वों की है, जिसका मकसद शिक्षकों को परेशान करना हो सकता है।
फिलहाल शिक्षा विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी चल रही है।