एआरपी चयन परीक्षा में शिक्षकों की फजीहत, हिंदी में 6 में से 5 फेल


Farrukhabad: जनपद में एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) चयन के लिए कराई गई परीक्षा में शिक्षकों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि हिंदी जैसे विषय में परीक्षा देने वाले छह शिक्षकों में से पांच असफल हो गए। गणित में भी हालात कुछ बेहतर नहीं रहे, जहां 36 में से 15 शिक्षक फेल हो गए।

जनपद में एआरपी के कुल 40 पद हैं, जिनके लिए आयोजित लिखित परीक्षा में कुल 85 शिक्षकों ने भाग लिया था। परीक्षा परिणामों ने इस प्रतिष्ठित पद के प्रति हो रही होड़ के बीच कई शिक्षकों को बड़ा झटका दिया है।

शिक्षकों की यह परीक्षा इस लिहाज से भी अहम मानी जाती है क्योंकि एआरपी का कार्य परिषदीय विद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता को सुधारना और छात्रों को निपुण बनाना होता है। लेकिन परीक्षा में खुद शिक्षकों की निपुणता पर ही सवाल खड़े हो गए हैं।


विषयवार परीक्षा परिणाम

  • हिंदी: 6 में से 5 शिक्षक फेल
  • गणित: 36 में से 15 फेल
  • अंग्रेज़ी: 8 में से 4 फेल
  • विज्ञान: 16 में से 4 फेल
  • सामाजिक विज्ञान: 19 में से 5 फेल

हालांकि विज्ञान में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन देखने को मिला, लेकिन हिंदी और गणित जैसे मुख्य विषयों में भारी गिरावट चिंताजनक है।

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परीक्षा में असफल होने वाले शिक्षक

परीक्षा में फेल होने वाले शिक्षकों में आदित्य कुमार सिंह, संजीव अहिरबार, प्रदीप कुमार, अमित कुमार वर्मा, अवधेश कुमार सिंह, नीरज कुमार, दीपक कुमार सिंह, राजेश कुमार, अनुराग सिंह, कमल कुमार, अरविंद सिंह यादव, पंकज कुमार, आशीष कुमार, दिंगबर सिंह, इसरार अहमद, सुमन, मोहम्मद मुफीद खान, संदीप सिंह, शाहिद खान गौरी, संगीता शर्मा, बृजेंद्र कुमार, शिवओम वर्मा, रविकांत तिवारी, कुमार गौरव, विकास कुमार, अश्वनी कुमार यादव, धीरज कुमार, सतेंद्र सिंह, विनेश, उपेंद्र सिंह, रुकुमपाल सिंह, आलोक कुमार, और हरिश्चंद्र राठौर शामिल हैं।


सिर्फ 52 शिक्षक ही हुए सफल, इंटरव्यू अभी बाकी

परीक्षा में केवल 52 शिक्षक ही उत्तीर्ण हो सके हैं। अब चयन प्रक्रिया का अगला चरण यानी साक्षात्कार होना बाकी है, जिसमें और भी शिक्षक बाहर हो सकते हैं।

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एआरपी की भूमिका पर सवाल

एआरपी की भूमिका स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने की होती है, लेकिन अक्सर यह देखा गया है कि कई एआरपी निरीक्षण कार्यों पर ज्यादा जोर देते हैं, जिससे उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी प्रभावित होती है। इसको लेकर समय-समय पर सवाल भी उठते रहे हैं।

शिक्षकों की इस परीक्षा में हुई असफलता ने एक बार फिर शैक्षिक व्यवस्था और शिक्षकों की योग्यता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह होगा कि इंटरव्यू में कौन शिक्षक अपनी जगह बना पाता है और एआरपी की जिम्मेदारी निभाने के योग्य साबित होता है।

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