यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है, लेकिन बिहार की नालंदा जिले की रहने वाली श्वेता भारती ने यह साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत और मजबूत इरादों से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। विप्रो जैसी प्रतिष्ठित कंपनी में 9 घंटे की नौकरी करते हुए उन्होंने अपने सपने को जिया और आखिरकार 2021 में यूपीएससी परीक्षा पास कर IAS अधिकारी बनने का सपना पूरा किया।
साधारण परिवार से आईएएस अधिकारी तक का सफर
श्वेता भारती का जन्म नालंदा जिले में एक साधारण परिवार में हुआ। पढ़ाई में शुरू से ही उत्कृष्ट श्वेता ने 12वीं की शिक्षा पटना के इशान इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल से पूरी की और फिर भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक (इलेक्ट्रिकल और टेलीकम्युनिकेशन) की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्हें देश की अग्रणी कंपनी विप्रो में नौकरी मिल गई।
नौकरी नहीं छोड़ी, सपना नहीं छोड़ा
आईएएस बनने का सपना देखने वाली श्वेता ने विप्रो की नौकरी को नहीं छोड़ा। उन्होंने दिन में 9 घंटे काम करने के बाद रात में पढ़ाई शुरू की। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने इस संतुलन को बनाए रखा और अपनी तैयारी जारी रखी।
पहले बीपीएससी में सफलता, फिर यूपीएससी में इतिहास
2020 में श्वेता ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा में 65वीं रैंक हासिल की और कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) के पद पर चयनित हुईं। हालांकि, उनका असली लक्ष्य यूपीएससी था। नौकरी करते हुए उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी और 2021 में 356वीं रैंक हासिल कर यूपीएससी परीक्षा पास कर ली।
वर्तमान में असिस्टेंट कलेक्टर
श्वेता भारती वर्तमान में बिहार के भागलपुर जिले में असिस्टेंट कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। उनकी सफलता न केवल युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कठिन परिस्थितियां भी दृढ़ इच्छाशक्ति और समय प्रबंधन के आगे हार मान लेती हैं।
श्वेता की सफलता से मिलने वाली प्रेरणा
1. समय प्रबंधन का महत्व: नौकरी और पढ़ाई को संतुलित करना आसान नहीं होता, लेकिन श्वेता ने इसे सफलतापूर्वक कर दिखाया।
2. सपनों की स्पष्टता: एक बड़ी कंपनी में नौकरी होने के बावजूद उन्होंने अपने लक्ष्य से कभी समझौता नहीं किया।
3. धैर्य और निरंतरता: सफलता तुरंत नहीं मिलती, लेकिन कड़ी मेहनत और धैर्य के साथ इसे हासिल किया जा सकता है।
श्वेता भारती की कहानी हमें सिखाती है कि अगर हौसले बुलंद हों और मेहनत में कमी न हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं है। उनकी यह यात्रा हर युवा को प्रेरित करती है कि वे अपने सपनों को जिएं और उन्हें हासिल करने के लिए हरसंभव प्रयास करें।
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