प्रयागराज: महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या स्नान के लिए उमड़ी लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण मंगलवार-बुधवार की रात संगम तट पर बड़ा हादसा हो गया। देर रात करीब डेढ़ बजे अचानक भगदड़ मच गई, जिसमें अब तक 17 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 50 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। हालांकि, प्रशासन ने अभी तक 17 लोगों की मौत की पुष्टि की है, जबकि प्रत्यक्षदर्शी और स्थानीय सूत्रों के अनुसार मृतकों की संख्या कहीं अधिक हो सकती है।
Mahakumbh Stampede: मंगलवार को मौनी अमावस्या के अवसर पर दूसरा 'अमृत स्नान' था, जिसमें देशभर से लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे थे। संगम तट पर विशेष रूप से बड़ी संख्या में लोग स्नान के लिए एकत्र हुए थे। देर रात करीब डेढ़ बजे अचानक भीड़ बेकाबू हो गई, जिससे अफरातफरी मच गई। सुरक्षा बलों की भारी मौजूदगी के बावजूद स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई, और भगदड़ में कई लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर पड़े। घायलों को मेला परिसर में बनाए गए केंद्रीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि गंभीर रूप से घायलों को प्रयागराज के बड़े अस्पतालों में रेफर किया गया है।
हादसे के बाद श्रद्धालुओं में गुस्सा
Mahakumbh Mela 2025: इस दर्दनाक हादसे के बाद श्रद्धालुओं में भारी रोष देखा गया। लोगों ने प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्रशासन VIP श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा में लगा रहा, जिससे आम लोगों की सुरक्षा से समझौता किया गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद गिरी ने प्रशासन पर हमला बोलते हुए कहा, "अधिकारियों का पूरा ध्यान VIP श्रद्धालुओं की सेवा में था, जबकि आम भक्तों की सुरक्षा की अनदेखी की गई। अगर सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होती, तो यह हादसा टाला जा सकता था।" उन्होंने मेला क्षेत्र की सुरक्षा सेना को सौंपने की मांग भी की है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना के बाद प्रशासन ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं और मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की है। हालांकि, अभी तक प्रशासन की ओर से मृतकों और घायलों की सटीक संख्या को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। प्रयागराज जिला प्रशासन ने कहा है कि मामले की विस्तृत जांच की जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी।
VIP कल्चर पर उठे सवाल
इस हादसे के बाद एक बार फिर कुंभ मेले में VIP कल्चर पर सवाल उठने लगे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि प्रशासन आम श्रद्धालुओं की तुलना में VIP मेहमानों की सुरक्षा और सुविधा पर ज्यादा ध्यान दे रहा था। संगम तट के पास VIP के लिए बनाए गए विशेष प्रवेश और निकासी द्वारों के कारण आम श्रद्धालुओं के लिए रास्ता संकरा हो गया था, जिससे भीड़ का दबाव बढ़ गया और भगदड़ की स्थिति बनी।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
कुंभ और अन्य धार्मिक आयोजनों में भीड़ नियंत्रण हमेशा से एक चुनौती रही है। इससे पहले 2013 के महाकुंभ के दौरान इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से 36 लोगों की मौत हो गई थी। इसी तरह, 2003 में नासिक कुंभ में भगदड़ से 39 श्रद्धालु मारे गए थे।
क्या होने चाहिए ठोस उपाय?
विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने के बावजूद भीड़ प्रबंधन के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए थे। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
VIP व्यवस्था को सीमित कर आम श्रद्धालुओं के लिए अधिक जगह सुनिश्चित की जाए।
संगम क्षेत्र और अन्य प्रमुख स्नान घाटों पर प्रवेश और निकासी के लिए अलग-अलग मार्ग बनाए जाएं।
डिजिटल स्क्रीन और लाउडस्पीकरों के जरिए भीड़ नियंत्रण के लिए लगातार निर्देश दिए जाएं।
श्रद्धालुओं की संख्या को नियंत्रित करने के लिए पूर्व पंजीकरण की व्यवस्था की जाए।
मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान हुई यह त्रासदी एक बार फिर से प्रशासन की विफलता को उजागर करती है। लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बजाय VIP कल्चर को प्राथमिकता देने के आरोप प्रशासन के लिए गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। हादसे में जान गंवाने वालों के परिवारों को न्याय और घायलों को समुचित इलाज मिलना चाहिए। साथ ही, भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर प्रबंधन और सख्त नियमों की आवश्यकता है।