Vaishali: बिहार शिक्षा विभाग का एक नया फरमान इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। वैशाली जिले के सभी सरकारी और निजी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को आवारा कुत्तों को भगाने और स्कूल के बच्चों को सुरक्षित रखने का जिम्मा सौंपा गया है। यह निर्देश बिहार शिक्षा परियोजना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा जारी किया गया है, जिसमें स्कूल परिसर में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रधानाध्यापकों को कई कदम उठाने का आदेश दिया गया है।
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के निर्देश:
जारी पत्र में निम्नलिखित निर्देश दिए गए हैं:
1. कुत्तों से बच्चों की सुरक्षा: विद्यालय परिसर में आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने और उनके काटने से बचाव के उपाय किए जाएं।
2. कूड़ा-कचरा न फैलाने की अपील: विद्यालय में गंदगी और खाने-पीने की चीजों को इधर-उधर न फेंका जाए, जिससे कुत्ते आकर्षित न हों।
3. जागरूकता अभियान: बच्चों को कुत्तों से सतर्क रहने और उनके काटने से होने वाली बीमारियों के प्रति जागरूक किया जाए।
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शिक्षकों में नाराजगी:
इस आदेश के बाद शिक्षकों में भारी असंतोष फैल गया है। कई शिक्षकों का मानना है कि यह उनके सम्मान और कार्यक्षमता का अपमान है। हालांकि शिक्षकों को इस मुद्दे पर मीडिया में प्रतिक्रिया देने से मना किया गया है, लेकिन शिक्षकों के बीच इस फैसले को लेकर गुस्सा स्पष्ट दिख रहा है।
विधायक ने उठाए सवाल:
इस मामले में विपक्षी दल के विधायक डॉ. मुकेश रोशन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा,
"बिहार में शिक्षकों को कभी शौचालय की निगरानी, तो कभी शराब पीने वालों को पकड़ने का काम दिया गया। अब उन्हें कुत्ते भगाने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार को शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर ध्यान देना चाहिए, न कि शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में उलझाना।"
शिक्षा पर असर का सवाल:
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे निर्देश न केवल शिक्षकों के सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं, बल्कि उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी बच्चों को शिक्षा देने पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
बिहार सरकार के इस निर्णय पर व्यापक चर्चा हो रही है, लेकिन यह देखना होगा कि क्या सरकार शिक्षकों की नाराजगी को ध्यान में रखते हुए इस फैसले पर पुनर्विचार करेगी।