सरकारी स्कूलों में फर्जी उपस्थिति का खुलासा: शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई के निर्देश


पटना: सरकारी विद्यालयों में छात्रों की फर्जी उपस्थिति और नामांकन का खेल अभी भी जारी है। प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा खुलेआम हो रहा है। शिक्षा विभाग की सख्ती और नियमित निरीक्षण के बावजूद इन गड़बड़ियों पर लगाम नहीं लगाई जा सकी है। 

लापरवाह निरीक्षण व्यवस्था

जिला और अनुमंडल स्तर पर निरीक्षण की व्यवस्था लागू होने के बावजूद इन अनियमितताओं को पकड़ने में विफलता देखी गई है। इस संबंध में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी संबंधित अधिकारियों को कड़ा निर्देश जारी किया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि फर्जी उपस्थिति और नामांकन के मामलों में दोषी पाए जाने पर संबंधित शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी, जिसमें निलंबन और बर्खास्तगी तक का प्रावधान है।

जांच रिपोर्ट के चौंकाने वाले खुलासे

शिक्षा विभाग ने कुछ निरीक्षकों को गांवों में कैंप कराकर स्कूलों की स्थिति का आकलन कराया। उनकी रिपोर्ट में निम्नलिखित बातें सामने आईं:

1. फर्जी उपस्थिति: कई विद्यालयों में 50% से अधिक उपस्थिति दिखाई जा रही है, जबकि वास्तविकता में यह संख्या 50% से भी कम है।

2. परीक्षा के दिन हाजिरी: छात्र नियमित रूप से स्कूल नहीं आते, लेकिन परीक्षा के दिनों में उपस्थिति दर्ज कराई जाती है।

3. शिक्षकों की लापरवाही: स्कूल के आसपास रहने वाले शिक्षक भी शिक्षण कार्य में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

4. प्रधानाध्यापकों की मिलीभगत: कई मामलों में प्रधानाध्यापक और शिक्षक मिलकर उपस्थिति और नामांकन के आंकड़ों में गड़बड़ी कर रहे हैं।

सख्त कार्रवाई का निर्देश

डॉ. सिद्धार्थ ने कहा है कि अगर स्कूलों की स्थिति में जल्द सुधार नहीं हुआ, तो दोषी शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को निलंबन या बर्खास्तगी की कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, निरीक्षण कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जाएंगे।

विद्यालयों में सुधार के प्रयास

जांच रिपोर्ट में कुछ शिक्षकों के समर्पण की भी सराहना की गई है। इन शिक्षकों के प्रयास से कुछ विद्यालयों में सुधार हुआ है। शिक्षा विभाग ने सभी शिक्षकों को बच्चों की शिक्षा में गंभीरता से योगदान देने की अपील की है।

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