प्रयागराज: हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जिलाधिकारी (डीएम) को बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत आने वाले विद्यालयों का निरीक्षण करने या उनके कार्यों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने डीएम के निर्देश पर किए गए निरीक्षण और एक शिक्षिका के निलंबन आदेश को अवैधानिक ठहराया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने सहायक अध्यापिका संतोष कुमारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।
याचिका में डीएम के निर्देश पर विद्यालय के निरीक्षण और निलंबन आदेश को चुनौती दी गई थी।
याची के अधिवक्ता चंद्रभूषण यादव ने दलील दी कि डीएम के निर्देश पर एसडीएम और खंड शिक्षा अधिकारी ने विद्यालय का संयुक्त निरीक्षण किया और संतोष कुमारी को खराब प्रदर्शन के आधार पर निलंबित कर दिया। कोर्ट ने कहा कि 25 अक्तूबर 2024 को पारित यह निलंबन आदेश प्रथम दृष्ट्या कई कारणों से अवैधानिक है।
डीएम को अधिकार नहीं
कोर्ट ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद के अंतर्गत आने वाले विद्यालयों का निरीक्षण डीएम के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। यह कार्य केवल बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के अधीन होता है। डीएम राजस्व अधिकारी हैं और उनका स्कूलों के संचालन या निरीक्षण में कोई दखल नहीं होना चाहिए।
बीएसए भी जिम्मेदार
हाईकोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) को भी जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उन्हें डीएम को इस अधिकार-सीमा के बारे में जानकारी देनी चाहिए थी। यह उनकी जिम्मेदारी थी कि वे डीएम के आदेश पर कार्रवाई करने से पहले इस संदर्भ में सही जानकारी प्रदान करते।
हलफनामा तलब
कोर्ट ने संभल के डीएम और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि उन्होंने किस कानूनी अधिकार के तहत विद्यालय के कार्यों में हस्तक्षेप किया।
इस आदेश के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों का निरीक्षण और संचालन केवल नियमानुसार संबंधित अधिकारियों द्वारा ही किया जा सकता है।