Utter Pradesh, Kanpur News: उत्तर प्रदेश में सरकार की नौकरी प्रक्रिया को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता नजर आ रहा है। इलाहाबाद में छात्रों के प्रदर्शन के बीच कानपुर का एक वायरल वीडियो चर्चा का केंद्र बन गया है। इस वीडियो ने सरकारी नौकरियों की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है मामला?
कानपुर में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना पहुंचे थे। उनके साथ बीजेपी के विधायक महेश त्रिवेदी और सुरेंद्र मैथानी भी मौजूद थे। इस कार्यक्रम में कथावाचक रामभद्राचार्य ने एक बयान दिया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
वीडियो में रामभद्राचार्य कहते हुए नजर आ रहे हैं, "मैंने सतीश महाना को एक सेवा दी थी, पैसे के लिए नहीं, बल्कि एक लड़के को समीक्षा अधिकारी बनाना है और वह मेरी यह सेवा करेंगे।" इस बयान ने न केवल युवाओं को हतप्रभ कर दिया है, बल्कि विपक्ष को भी सरकार पर निशाना साधने का मौका दे दिया है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
वायरल वीडियो पर जनता और राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। इलाहाबाद में विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्र इसे सरकारी नौकरियों की निष्पक्षता पर हमला बता रहे हैं। वहीं, विपक्षी दलों ने इस वीडियो को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
विपक्ष का हमला
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुनील साजन ने इस मामले को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "बीजेपी सरकार में नौकरियां केवल सिफारिश और पर्चियों के आधार पर दी जा रही हैं। दलित और पिछड़े वर्गों के हक छीने जा रहे हैं। यह घटना बीजेपी सरकार की असलियत को उजागर करती है।"
साजन ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में नौकरियों की प्रक्रिया पूरी तरह पक्षपातपूर्ण हो गई है। "यह सरकार केवल अपने वर्ग और संबंधों के आधार पर नियुक्तियां कर रही है," उन्होंने जोड़ा।
छात्रों का प्रदर्शन
दूसरी ओर, इलाहाबाद में सरकारी नौकरियों और परीक्षा परिणामों को लेकर छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों ने सरकार से पारदर्शी प्रक्रिया की मांग की है। उनका कहना है कि यदि नौकरियों में इस तरह की सिफारिशें होती रहीं तो योग्यता का क्या महत्व रहेगा?
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